Amazing Facts about rani ki vav । रानी की वाव के बारे में रोचक तथ्य
◆ रानी की वाव बावड़ी का निर्माण रानी उदयमती ने अपने पति राजा भीमदेव की याद में 11वीं सदी में करवाया था।
◆ यह बावड़ी गुजरात के अहमदाबाद से 140 किमी दूर पाटन गाँव में मौजूद है।
◆ इस बावड़ी की लम्बाई 70 मीटर , चौड़ाई 23 मीटर और गहराई 28 मीटर है।
◆ रानी की वाव बावड़ी 7 मंजिला है । 7 मंजिले होने का कारण मनुष्य के शरीर में मौजूद 7 चक्रों से है।
◆ इस बावड़ी का चित्र RBI द्वारा 100 के नए नोटो पर छापा जा रहा हैं ।
◆ रानी की वाव बावड़ी के पास में आयुर्वेदिक पौधे थे, जिसकी वजह से रानी की वाव में एकत्रित पानी को बुखार, वायरल रोग आदि के लिए काफी अच्छा माना जाता था।
◆ अपनी कलाकृति के लिए मशहूर इस विशाल ऐतिहासिक बावड़ी को साल 2016 में दिल्ली में हुई इंडियन सेनीटेशन कॉन्फ्रेंस में ”क्लीनेस्ट आइकोनिक प्लेस” पुरस्कार से नवाजा गया है।
◆ साल 2016 में भारतीय स्वच्छता सम्मेलन में गुजरात के पाटन में स्थित इस भव्य रानी की वाव को भारत का सबसे स्वच्छ एवं प्रतिष्ठित स्थान का भी दर्जा मिला था ।
◆ इतनी खूबसूरत और अचंभित करने वाली वास्तु को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल किया गया है, और इस बावड़ी को यूनेस्को ने भारत में मौजूद सभी बावड़ीयों की रानी का खिताब भी दिया है।
◆ इस बावड़ी के नीचे एक सुरंग हैं , जिसकी लंबाई 30 कि. मी. हैं। यह सुरंग पाटण के सिद्धपुर में जाकर खुलती है।लेकिन सुरंगनुमा रास्ते को अब पुरात्तव विभाग ने बन्द कर दिया है।
◆ यह स्मारक खूबसूरत और अद्भुत होने के साथ साथ आधुनिक इंजीनियरिंग को चुनौती देने का का काम भी करता है।
◆ विश्व प्रसिद्ध यह वावड़ी इस बात का भी प्रमाण है कि प्राचीन भारत में वॉटर मैनेजमेंट सिस्टम कितना बेहतरीन और शानदार था।
◆ यहां पर भगवान विष्णु के दशावतार के रुप में कई मूर्तियां बनी हुई हैं, जिनमें से मुख्य रुप से नरसिम्हा, कल्कि राम, वामन, कृष्णा वाराही और दूसरे मुख्य अवतार भी शामिल हैं।

0 Comments