Intresting Facts About Hawrah Bridge । हावड़ा ब्रिज के बारे में रोचक तथ्य

Amazing Facts about Hawrah Bridge in Hindi । हावड़ा ब्रिज के बारे में आश्चर्यजनक तथ्य हिंदी में


Amazing facts about hawrah bridge


■ हावड़ा ब्रिज का निर्माण

हावड़ा ब्रिज का निर्माण कार्य 1937 से शुरू हुआ था। और 1942 में ये ब्रिज बनकर तैयार हो गया। फरवरी, 1943 में इसे ट्रैफिक के लिए खोल दिया गया था।


■ हावड़ा की लंबाई एवं चौड़ाई 

हावड़ा ब्रिज की कुल लंबाई 705 मी. (2,313.0 ft) हैं एवं चौड़ाई 21.6 मी. (71 ft) हैं , दोनों फुटपाथ को मिलाकर । इस कैंटरलीवर ब्रिज को बनाने में 26. 5 हज़ार टन स्टील इस्तेमाल किया गया है। इसमें से 23.5 हजार टन स्टील की सप्लाई टाटा स्टील ने की थी। 



■ द्वितीय विश्व युद्ध का गवाह

हावड़ा ब्रिज भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर में प्रसिद्ध है। 

हावड़ा ब्रिज द्वितीय विश्व युद्ध का गवाह भी रहा है। दिसंबर 1942 में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान का एक बम इस ब्रिज से थोड़ी ही दूरी पर गिरा था ।


■ कोलकाता और हावड़ा को जोड़ने वाला ये ब्रिज जब बनकर तैयार हुआ तो इसका नाम 'न्यू हावड़ा ब्रिज' रखा गया था। 14 जून 1965 को गुरु रवींद्रनाथ टैगोर के नाम पर इसका नाम 'रवींद्र सेतु' कर दिया गया, लेकिन आज भी लोग इसे हावड़ा ब्रिज के नाम से ही जानते हैं।


■ हावड़ा ब्रिज का औपचारिक उद्घाटन आज तक नहीं हो पाया 

इसके पीछे का कारण यह है कि जिस समय यह ब्रिज बनकर तैयार हुआ था उस समय द्वितीय विश्वयुद्ध पूरे शबाब पर था । इसके बाद निर्णय लिया गया कि इस ब्रिज का औपचारिक उद्घाटन के मौके पर कोई धूमधाम नहीं होगी । 


■ बिना नट बोल्ट के बना पुल

हावड़ा ब्रिज एक कैंटिलीवर पुल है जो पश्चिम बंगाल में हुगली नदी पर फैला है। यह एक ब्रैकट ब्रिज एक कैंटिलीवर का उपयोग करके बनाया गया है, संरचनाएं जो क्षैतिज रूप से अंतरिक्ष में प्रोजेक्ट करती हैं, केवल एक छोर पर समर्थित हैं। सामान्यतः कोई भी ब्रिज कई खम्बों पर टिका होता है लेकिन यह एक ऐसा पुल है जो केवल चार खम्बों पर टिका हुआ है जिसमें दो नदी के इस तरफ और दो नदी के उस तरफ दिखाई देते हैं। पुल में नट और बोल्ट नहीं हैं और  निर्माण में स्टील की प्लेटों को जोड़ने के लिए नट-बोल्ट की बजाय धातु की बनी कीलों (Rivet) का इस्तेमाल किया गया है।


■ इस सेतु के दोनों ओर ही नदी पर दो अन्य बड़े सेतु भी हैं 1.विद्यासागर सेतु

2.विवेकानंद सेतु


■ वर्तमान में यह अपनी तरह का छठवां सबसे लंबा पुल हैं ।


■ ब्रिज पर डेली लगभग 1.5 लाख वाहन और 5 लाख पैदल यात्री चलते हैं। 


■ दिन में या गर्मियों के समय में इस पुल की लंबाई 3 मीटर तक बढ़ जाती है क्योंकि तापमान बढ़ने के कारण धातु ( स्टील ) पिघलती एवं फैलती हैं ।


■ पक्षियों द्वारा हावड़ा ब्रिज पर की जा रही गंदगी को साफ कराने के लिए कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट को करीब 5 लाख रुपये सालाना खर्च करने पड़ते हैं।


■ पुल का उपयोग करने वाला पहला वाहन "ट्राम" था। ट्राम या ट्रॉली कार (Tram) एक रेल वाहन है जो अमूमन शहरी सड़कों के साथ साथ बिछाई गयी पटरियों पर चलती है।


■ पोर्ट ट्रस्ट को वर्ष 2011 के दौरान एक अजीब समस्या से जूझना पड़ा था। तब एक अध्ययन से यह बात सामने आई थी कि तंबाकू थूकने की वजह से ब्रिज के पायों की मोटाई कम हो रही है। तब स्टील के पायों को नीचे फाइबर ग्लास से ढंकने पर लगभग 20 लाख रुपये खर्च हुए थे।


■ हावड़ा ब्रिज साल 1962 में बनी फिल्म चायना टाउन में,  1971 में अमर प्रेम में  दिखाई देता है। ये पुल इतना लोकप्रिय है कि इसी नाम से हावड़ा ब्रिज फिल्म 1958 में बनी।  इस फिल्म में गीता दत्त का गाया गीत... मेरा नाम चिन-चिन-चू चिन-चिन-चू बाबा चिन-चिन-चू रात चांदनी मैं और तू ....काफी लोकप्रिय हुआ। इसके अलावा ,गुंडे, बर्फी, लव आज-कल, तमिल फ़िल्म आधार, मलयालम फ़िल्म कलकत्ता न्यूज़, रोलैंड जोफ़े की अंग्रेज़ी भाषा की फ़िल्म सिटी ऑफ़ जॉय आदि फिल्मों की यहाँ पर शूटिंग की गई।





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