रूपकुंड झील का इतिहास । Roopkund Lake History
पिछली पोस्ट में हमने एक ऐसे मंदिर के बारे में जाना था जिसमें पुरुष महिलाओं की तरह सजकर साड़ी पहनकर करते हैं पूजा । , इस पोस्ट में हम एक ऐसी झील के बारे में जानेगें जो 'कंकालों वाली झील' के नाम से जानी जाती हैं ।
रूपकुंड झील का रहस्य । Roopkund Lake Mystery
दअरसल बात यह हैं कि भारत में एक ऐसी झील हैं ,जहाँ पर 500 से अधिक नर कंकाल मिले हैं । इस झील का नाम रूपकुंड झील जो कि उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित एक हिम झील है । रूपकुंड झील हिमालय पर लगभग 5029 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह एक निर्जन स्थान हैं । इन कंकालों को सबसे पहले साल 1942 में ब्रिटिश फॉरेस्ट गार्ड ने देखा था ।
इन कंकालों को लेकर हैं कई थ्योरी
◆ एक थ्योरी के अनुसार यह कंकाल जापानी सैनिको के होंगे। दरअसल, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी सैनिक ब्रिटिशों को मारने के लिए हिमालय के रास्ते भारत आए थे। तब उन्हें मार दिया गया होगा। लेकिन, जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ। रिपोर्ट में ये बात सामने आई कि ये नर-कंकाल जापानी सैनिकों के नहीं थे।
◆ दूसरी थ्योरी के अनुसार माना जाता है कि यह एक कब्रगाह हो सकती है जहां किसी महामारी के शिकार लोगों को दफ़नाया गया होगा ।
◆ इस इलाक़े के गांवों में एक प्रचलित लोकगीत गाया जाता है इसमें बताया जाता है कि कैसे यहां पूजी जाने वाली नंदा देवी ने एक ‘लोहे जैसा सख़्त तूफ़ान‘ खड़ा किया जिसके कारण झील पार करने वालों की मौत हो गई और वे यहीं झील में समा गए।
◆ कुछ लोगों के हिसाब से ये कंकाल एक भारतीय राजा, उनकी पत्नी और उनके सेवकों के हैं , जो कभी 870 साल पहले किसी बर्फ़ीले तूफान का शिकार हो गए थे और यहीं दफ़न हो गए थे ।
![]() |
| Image Source:Punjabkeshri |
Roopkund skeleton lake - रूपकुंड कंकाल झील
करीब 50 से ज्यादा वर्षों से वैज्ञानिकों ने इस झील में पड़े कंकालों का अध्ययन किया है और कई अनसुलझी पहेलियों को सुलझाने की कोशिश की है।
लेकिन सवाल वही आ रहा था , रूपकुंड झील में मिलने वाले कंकाल किन लोगों के हैं ? कैसे हुई इन लोगों की मौत ? कहाँ से आये थे ये लोग और कहां जा रहे थे ?
अभी हाल में आयी हैं नई रिपोर्ट
बीते 5 वर्ष में एक अध्ययन किया गया जिसमें भारत समेत जर्मनी और अमेरिका के 16 संस्थानों के 28 सह-लेखक शामिल रहे हैं।वैज्ञानिकों ने जेनेटिक रूप से और कार्बन डेटिंग के आधार पर झील में मिले 38 इंसानी अवशेषों का अध्ययन किया। इनमें 15 महिलाओं के अवशेष शामिल हैं। इनमें से कुछ 1,200 साल पहले के हैं। अध्ययनकर्ताओं ने पाया है कि मरे हुए लोग जेनेटिक रूप से अलग-अलग हैं और उनकी मौतों के बीच में 1,000 साल तक का अंतर है।
अध्ययन की मुख्य लेखिका ईडेओइन हार्ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पीएचडी की छात्र हैं। वे कहती हैं, “इससे वे थ्योरी ख़ारिज हो गईं जिनमें कहा गया था कि किसी एक तूफ़ान या आपदा में ये सभी मौतें हुई हैं” । वे कहती हैं, “अभी भी यह साफ नहीं है कि रूपकुंड झील में आख़िर क्या हुआ था। लेकिन, हम यह बात ज़रूर कह सकते हैं कि ये सभी मौतें किसी एक घटना में नहीं हुई हैं” ।
लेकिन , इसके पीछे की सच्चाई क्या इसका अभी तक पता नहीं चल पाया । इस रूपकुंड झील के कई रहस्य आज भी इसके भीतर दफन हैं। इन्हीं कारणो से इस झील को 'कंकालों वाली झील' , कपाल झील ,रहस्यमयी झील के नाम से जाना जाता हैं ।


0 Comments