हम बात कर रहे हैं पश्चिम बंगाल में स्थित रविंद्र सेतु की । रविंद्र सेतु को हावड़ा ब्रिज के नाम से जाना जाता है , यही वह ब्रिज है जिसका आज तक उद्घाटन नहीं हो पाया हैं ।
दरअसल 19 वीं सदी के आखिरी में कोलकाता और हावड़ा के बीच बहने वाली हुगली नदी पर एक तैरते हुए पुल के निर्माण की योजना बनाई । तैरता हुआ पुल इसलिए क्योंकि उस दौर में हुगली में रोज़ाना कई जहाज़ आते-जाते थे। खम्भों वाला पुल बनाने से कहीं जहाज़ों की आवाजाही में रुकावट न आये। सन 1871 में हावड़ा ब्रिज एक्ट पास किया गया।
हावड़ा ब्रिज का निर्माण कार्य 1937 से शुरू हुआ था। और 1942 में ये ब्रिज बनकर तैयार हो गया। और दिसंबर 1942 में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान का एक बम इस ब्रिज से थोड़ी ही दूरी पर गिरा था ।
हावड़ा ब्रिज का औपचारिक उद्घाटन नहीं हो पाने के पीछे का कारण यह है कि जिस समय यह ब्रिज बनकर तैयार हुआ था उस समय द्वितीय विश्वयुद्ध पूरे शबाब पर था । इसके बाद निर्णय लिया गया कि इस ब्रिज का औपचारिक उद्घाटन के मौके पर कोई धूमधाम नहीं होगी । फरवरी, 1943 में इसे ट्रैफिक के लिए खोल दिया गया था।

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