बर्ड मैन ऑफ इंडिया सालीम अली । Bird Man Of India Salim Ali
आज हम बात करेंगे बर्ड मैन ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर सालीम अली के बारे । सालीम अली का पूरा नाम सलीम मोइजुद्दीन अब्दुल अली था। सालीम अली का जन्म 12 नंवबर 1896 को हुआ था। वे देश के पहले ऐसे पक्षी वैज्ञानिक (ornithologist) थे, जिन्होंने सम्पूर्ण भारत में व्यवस्थित रूप से पक्षियों का सर्वेक्षण किया और पक्षियों पर ढेर सारे लेख और किताबें लिखीं। उनके द्वारा लिखी पुस्तकों ने भारत में पक्षी-विज्ञान के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
पक्षी का शिकार करते हुआ हृदय परिवर्तन और फिर कुछ ऐसा हुआ कि बन गए पक्षी वैज्ञानिक।
एक घटना के कारण सालीम अली बन गए थे पक्षी प्रेमी
बात सलीम अली के बचपन की है जब वह एक गौरैया का शिकार airgun से कर रहे थे। गौरैया का शिकार करने के बाद जब सलीम अली ने नज़दीक से गौरैया को देखा तो पता चला कि उसकी गर्दन पर एक पीले रंग का धब्बा था। सालिम अली तुरंत उस पक्षी को अपने चाचा अमिरुद्दीन के पास लेकर गये पर उनके चाचा भी उनकी इस समस्या का हल नहीं बता पाए। लेकिन सलीम अली इस गौरैया के बारे में जानना चाहते थे ।
इसके बाद उनके चाचा ने उन्हें पक्षी के साथ बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के सचिव डब्ल्यू. एस. मिलार्ड के पास भेज दिया। सालीम अली से मिलने के बाद मिलार्ड बहुत खुश हुए । उन्हें अच्छा लगा कि सालिम इस बारे मेें जानना चाहता हैं। मिलार्ड ने बताया जिस गौरैया के बारे में सलीम अली बात कर रहे हैं वह सोनकंठी गौरैया हैं । इसके अलावा मिलार्ड ने और भी भारत के दूसरे विशिष्ट पक्षी भी दिखाए।
मिलार्ड ने सोसायटी में संग्रहीत सभी पक्षियों को सलीम को दिखाना प्रारंभ किया और पक्षियों के संग्रहण के लिए प्रोत्साहित भी किया। उन्होंने सलीम को कुछ किताबें भी दी जिसमें ‘कॉमन बर्ड्स ऑफ मुंबई’ ( Common Birds of Bombay ) भी शामिल थी। मिल्लार्ड ने सलीम को पक्षियों के छाल निकालने और संरक्षण में प्रशिक्षित करने की पेशकश भी की। उन्होंने ने ही युवा सलीम की मुलाकात नोर्मन बॉयड किनियर ( Norman Boyd Kinnear )
से करवाई, जो कि बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी में प्रथम पेड क्यूरेटर थे।
सलीम अली ने अपनी आत्मकथा ‘फॉल ऑफ ए स्पैरो’ में इस घटना को अपने जीवन का टर्निंग प्वाइंट माना है जहां से उन्होंने पक्षियों के अध्ययन को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया।
पक्षियों के सर्वेक्षण में 65 साल गुजार देने वाले इस शख़्स को परिंदों का चलता फिरता विश्वकोष कहा जाता था। सलीम अली के पास पक्षियों को बिना दुख दिये पकड़ने के 100 से भी ज़्यादा तरीक़े थे। पक्षियों को पकड़ने के लिए डॉ सलीम अली ने प्रसिद्ध ‘गोंग एंड फायर’ व ‘डेक्कन विधि’ की खोज की जिन्हें आज भी पक्षी विज्ञानियों द्वारा प्रयोग किया जाता है।
राष्ट्रीय पक्षी दिवस कब मनाया जाता है ?
भारत के मशहूर पक्षी विज्ञानी और प्रकृतिवादी डॉ. सालिम अली के जन्मदिवस के अवसर पर प्रत्येक वर्ष देश भर में 12 नवम्बर को ‘राष्ट्रीय पक्षी दिवस’ मनाया जाता है।
सलीम अली द्वारा लिखित पुस्तकें
◆ बर्ड्स ऑफ़ इंडिया
◆ द बुक ऑफ़ इंडियन बर्ड्स
◆ हैण्डबुक ऑफ़ द बर्ड्स ऑफ़ इंडिया एण्ड पाकिस्तान
◆ द फाल ऑफ़ ए स्पैरो ( ऑटोबायोग्राफी )
सलीम अली को प्रदान किये गए पुरस्कार एवं सम्मान
◆ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा गया।
◆ प्रकृति विज्ञान और पक्षियों पर किए गये महत्त्वपूर्ण कार्यों के लिए उन्हें भारत सरकार की ओर से 1958 में पद्म भूषण से नवाजा गया।
◆ 1976 में उन्हे पद्म विभूषण जैसे देश के बड़े सम्मानों से सम्मानित किया गया।
◆ डाक विभाग ने इनकी स्मृति में डाक टिकट भी जारी किया है।
◆ ‘पर्यावरण एवं वन मंत्रालय’ द्वारा कोयम्बटूर के निकट ‘अनाइकट्टी’ नामक स्थान पर ‘सलीम अली पक्षीविज्ञान एवं प्राकृतिक इतिहास केन्द्र’ स्थापित किया गया।
◆ ‘सलीम अली पक्षी अभ्यारण‘ भारत के खूबसूरत राज्य गोवा में स्थित हैं। यह प्रसिद्ध अभ्यारण गोवा की राजधानी पणजी से महज चंद किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लगभग 2 वर्ग किलोमीटर के एरिया में फैला यह अभयारण्य पर्यटक के लिए एक पसंदीदा स्थल है।
◆ सलिम अली सेंटर फॉर ओर्निथोलोजी एंड नेचुरल हिस्टरी’ (SACON) अर्थात सलीम अली पक्षी-विज्ञान और प्राकृतिक इतिहास केंद्र तमिलनाडु के कोयम्बटूर में स्थित है। भारत सरकार द्वारा वितपोषित इस संस्थान की स्थापना 5 जून 1990 ईस्वी में पक्षी के शोध स्थल के रूप में हुई थी।
सालिम अली की मृत्यु कब और कैसे हुई?
विश्व विख्यात पक्षी-विज्ञानी सालिम अली ने अपने उम्र का 65 वर्ष पक्षियों की सेवा में समर्पित कर दिया। सलीम अली प्रोस्टेट कैंसर की बीमारी से ग्रसित थे। वे लंबे समय तक इस बीमारी से लड़ते रहे। इस प्रकार सलीम अली की मृत्यु कैंसर से हुई। महान पक्षी विज्ञानी सलीम अली ने 91 साल की उम्र में 20 जून 1987 को मुंबई में अंतिम सांस ली।


0 Comments