जब आप बीमार होते हैं , या थोड़ी बहुत भी तबीयत सही नहीं रहती , तो आप दवाइयां लेते हैं , कई बार आप टेबलेट और कैप्सूल का सेवन करते हैं । पर आपने कभी एक बार नोटिस कि कैप्सूल अलग-अलग दो रंगों का बना होता है । आज हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे कि कैप्सूल दो अलग-अलग रंगों का क्यों बना हुआ रहता है ? कैप्सूल दो रंगों का क्यों होता है ?
दरअसल कैप्सूल दो part में बटा हुआ रहता है ।
पहला Part वह हैं जोकि सबसे लंबा होता है उसमें दवाई का पाउडर भरा हुआ रहता है । इस part में दवाई भरने के बाद इसको pack करने की बारी आती हैं ।
इसको पैक करने के लिए दूसरे कलर का कैप का इस्तेमाल होता है , जो कि पीछले part से लंबाई में छोटा और व्यास ( diameter ) में बड़ा होता हैं ।
इस कैप का रंग दवाई भरे हुए part से अलग रहता हैं । इसके पीछे दो फायदे हैं ।
1. प्रोडक्शन में आसानी - अगर कैप्सूल के दोनों पार्ट का कलर भिन्न ( different ) होगा तो , इसके प्रोडक्शन में आसानी होती हैं ।
2.Attractive - कैप्सूल दो रंग का होने के कारण आकर्षक ( attractive ) लगते हैं । कई बार दवाइयों के एक से रंग होने के लोग कंफ्यूज हो जाते हैं कि कौन सी दवाई खानी हैं । अलग अलग रंग की दवाइयां होने के कारण आसानी से पहचान में आ जाएगी ।
अब तो आप समझ ही गए होंगे कि कैप्सूल दो रंग का क्यों बना हुआ रहता हैं ।

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