हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य व अध्यात्मिक व्यक्ति के नाम के पहले श्री श्री 108 लगाया जाता है। क्या आप जानते हैं 108 अंक का क्या महत्व है ? हिंदू धर्म में 108 अंक क्यों माना जाता है शुभ ?
बुद्ध धर्म और जैन धर्म में भी 108 माना जाता शुभ
अगर हमें किसी मंत्र के जाप करने के लिए बोला जाता है तो वह अक्सर 108 बार के लिए बोला जाता है । बौद्ध धर्म में भी पूजा की मालाओं में मनकों की संख्या 108 होती है। बौद्ध धर्म के कई प्रसिद्ध मंदिरों में सीढ़ियों की संख्या भी 108 है। 108 सीढ़ियां चढ़कर मंदिर में प्रवेश करना लाभकारी माना गया है। इसके अलावा जैन धर्म के धर्मगुरु या अनुयायी अपनी कलाई पर जो जापमाला बांधते हैं उनकी कुल संख्या भी 108 ही होती है । जैन धर्म के लोग भी नवकार मंत्र की 108 बार जाप देते हैं । रुद्राक्ष की माला में मनकों की कुल संख्या 108 होती है।
गौड़ीय वैष्णव धर्म में मान्यता है कि वृंदावन में गोपियां की कुल संख्या 108 थी। साथ ही श्रीवैष्णव धर्म में भगवान विष्णु के कुल 108 दिव्य क्षेत्र बताए गए हैं। इसे दिव्यदेशम कहकर पुकारा जाता है।
ज्योतिष के अनुसार ब्रह्मांड को 12 भागों में विभाजित किया गया है। इन 12 भागों के नाम मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन हैं। इन 12 राशियों में नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु विचरण करते हैं। अतः ग्रहों की संख्या 9 का गुणा किया जाए राशियों की संख्या 12 में तो संख्या 108 प्राप्त हो जाती है। इसके साथ ही कुल 27 नक्षत्र होते हैं। हर नक्षत्र के 4 चरण होते हैं और 27 नक्षत्रों के कुल चरण 108 ही होते हैं। माला का एक-एक दाना नक्षत्र के एक-एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है।
अब तो आप समझ ही गए होंगे कि 108 को हिन्दू धर्म में शुभ क्यों माना गया हैं ।
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