क्या सावरकर ने स्वयं ही स्वयं को वीर की उपाधि दी थी ?

सोशल मीडिया पर किसी भी व्यक्ति या सम्प्रदाय विशेष के प्रति जहर फैलने में देर नहीं लगती और अगर वह व्यक्ति   विपरीत विचारधारा का हो , तब तो लोग उसको नीचे दिखाने के लिए सारे प्रयत्न कर देते है. ऐसा ही कुछ  समय से  वीर सावरकर के साथ भी हो रहा है।  आज हम  इस दुष्प्रचार का खंडन करेंगे की सावरकर ने खुद को वीर की उपाधि दी। 

क्लेम : वीर सावरकर ने  खुद को वीर की उपाधि दी थी। 

सच्चाई : जनवरी 1924 में वीर सावरकर को रत्नागिरी में जेल से छोड़ दिया गया। लेकिन सावरकर पर किसी भी राजनीतिक गतिविधि में भाग लेने पर प्रतिबन्ध था और उन्हें रत्नागिरी तक सीमित रखा गया था। 

15 अगस्त 1924 को सावरकर की एक संक्षिप्त जीवनी श्री रानाडे ने लिखी थी, जिसकी प्रस्तावना महान तात्यासाहेब उर्फ एन.के.केलकर ने लिखी थी, और यह पूरी जीवनी सावरकर को पेज के बाद पेज पर 'स्वातंत्र्यवीर ' के रूप में संदर्भित करती है।

यह एक लिखित प्रमाण है और इसके साथ संलग्न चित्र पहले संस्करण की स्कैन की हुई कॉपी है। मुझे यह पुस्तक वर्धा के एक पुस्तकालय से मिली है। इस पुस्तक को वर्ल्ड डिजिटल लाइब्रेरी द्वारा डिजिटल किया गया है।

जीवनी का प्रथम पेज 

इस तरह हमने इस बात का खंडन किया कि वीर सावरकर ने स्वयं को वीर की उपाधि दी थी। 


नोट: यह जानकारी इंटरनेट के माध्यम से प्राप्त की गई हैं , इसका 100 % सही होना जरूरी नही हैं । हमारा उद्देश्य किसी की भी भावना को ठेस पहुँचाना नहीं हैं । अगर किसी तरह की कोई गलती की गई हो तो हमे तुरंत कमेंट कर बताए ।



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