मकड़ी जाला क्यों बनाती है - Why Make Spider Web
जिससे उसके जाल में कीड़े-मकोड़े , मक्खियां फंस जाते है और मकड़ी को उसका शिकार मिल जाता है।
मकड़ी अपना जाल कैसे बनाती है ?
दरअसल मकड़ी के शरीर में ऐसी ग्रंथियां होती हैं जिनसे एक प्रकार का पदार्थ निकलता है । ये काफी चिपचिपा होता है।इस द्रव्य के हवा के सम्पर्क में आने से एक रेशम धागे जैसे रूप में बदल जाता है, जिसे ‘स्पाइडर सिल्क’ कहा जाता है।
मकड़ी अपने जाल को बेहद के होशियारी से बुनती है। जैसे ही कोई कीट फंसता है तो इससे कंपकंपाहट होती है और तभी तुरन्त मकड़ी अपने शिकार को जकड़ कर जहर द्वारा घायल कर देती है ।
अब कुछ लोगों के मन में यह भी सवाल आ रहा होगा कि मकड़ी खुद अपने जाल में क्यों नहीं चिपकती हैं ?
कुछ लोगों का मानना हैं कि मकड़ी का पूरा जाल चिपचिपा नही होता है । यह कुछ ही हिस्से को चिपचिपा बुनती है ताकि कीट मकोड़े उसमे चिपक जाए । शेष बचे हुए हिस्से पर जिस पर वह बैठती है वह चिपचिपा नही होता है।
वहीं दूसरी और कुछ लोगों का मानना हैं कि मकड़ी के पैर तैलीय होते हैं, जिस कारण वह जाल में नहीं चिपकती। साथ ही मकड़ी अपना जाल बनाते समय इसमें जगह जरूर छोड़ती है जिससे वह बाहर निकल सके ।

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