भारत का सबसे बड़ा गुरुद्वारा स्वर्ण मंदिर हैं । स्वर्ण मंदिर पंजाब के अमृतसर में स्थित हैं । स्वर्ण मंदिर सिख धर्म का मुख्य तीर्थस्थल है। स्वर्ण मंदिर को हरमंदिर साहिब या श्री दरबार साहिब के नाम से भी जाना जाता है। इस गुरुद्वारे में केवल सिख धर्म के लोग ही नही आते बल्कि देश विदेश से लाखो श्रद्धालु आते है ।
भारत का सबसे बड़ा गुफा मंदिर कौन सा है ?
अब जानते हैं स्वर्ण मंदिर से जुड़े कुछ तथ्य - Intresting Facts About Golden Temple
◆ स्वर्ण मंदिर की नींव चौथे सिख गुरु गुरु रामदास जी ने रखी थी । कुछ स्रोतों में यह कहा गया है कि गुरुजी ने लाहौर के एक सूफी सन्त मियां मीर से दिसम्बर, 1588 में इस गुरुद्वारे की नींव रखवाई थी।
◆ स्वर्ण मंदिर को कई बार नष्ट किया जा चुका है , लेकिन इस मंदिर पुनः बनाया गया । इसे दोबारा 17 वीं सदी में भी महाराज सरदार जस्सा सिंह अहलुवालिया द्वारा बनाया गया था। अफगा़न हमलावरों ने 19 वीं शताब्दी में इसे पूरी तरह नष्ट कर दिया था। तब महाराजा रणजीत सिंह ने इसे दोबारा बनवाया था और इसे सोने की परत से सजाया था। तभी से यह स्वर्ण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया ।
◆ लगभग 400 साल पुराने इस गुरुद्वारे का नक्शा खुद गुरु अर्जुन देव जी ने तैयार किया था।
◆ मंदिर के चार प्रवेशद्वार हैं, जो चारों दिशाओं पूर्व, पश्चिम,उत्तर,दक्षिण की तरफ हैं। उस समय भी समाज चार जातियों में विभाजित था और कई जातियों के लोगों को अनेक मंदिरों आदि में जाने की इजाजत नहीं थी, लेकिन इस गुरुद्वारे के यह चारों दरवाजे उन चारों जातियों को यहां आने के लिए आमंत्रित करते थे।
◆ यह पूरा मन्दिर सफ़ेद मार्बल से बना हुआ है, जिसे असली सोने से ढका गया है । इसकी दीवारों पर सोने की पत्तियों से नक्काशी की गई है।
◆ स्वर्ण मंदिर में दुनिया का सबसे बड़ा किचन है जहां प्रतिदिन तकरीबन 1 लाख से अधिक लोगों को निशुल्क भोजन कराया जाता है। इस भोजन को लंगर कहते हैं, जो कि प्रसाद की तरह से ग्रहण किया जाता हैं ।
◆ मंदिर परिसर में पत्थर का एक स्मारक भी है जो, जांबाज सिक्ख सैनिकों को श्रद्धाजंलि देने के लिए लगाया गया है ।
◆ स्वर्ण मंदिर के पास में गुरुद्वारा सारागढ़ी साहिब है। यह केसर बाग में स्थित है और आकार में बहुत ही छोटा है। इस गुरुद्वारे को 1902 ई.में ब्रिटिश सरकार ने उन सिक्ख सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया था जो एंग्लो-अफ़गान युद्ध में शहीद हुए थे।
◆ स्वर्ण मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर स्वर्ण जड़ित, अकाल तख्त है। इसमें एक संग्रहालय और सभागार है।


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