भारत में मौजुद दुनिया का सबसे रहस्यमय कुण्ड जो भविष्य में होने वाले आपदाओ की सूचना पहले ही दे देता है। Mysterious Well of India That Works Against Laws of Physics.


आज हम आपको एक ऐसे रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं जो एक पानी के कुण्ड के रूप में मौजूद है। एक ऐसा कुण्ड जो भविष्य में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं की सूचना पहले ही दे देता है। एक ऐसा कुण्ड जिसकी गहराई नापने की हर एक कोशिश नाकाम रही। एक ऐसा कुण्ड जो महाभारत काल से इस धरती पर मौजूद है। 

तो चलिए जानते हैं इस भीमकुण्ड के बारे में, जिसमें अगर किसी की मौत भी हो जाती है तो उसकी लाश कभी पानी के ऊपर नही आती।

हम जिस भीमकुण्ड की बात कर रहे है मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में मौजूद है। इसके निर्माण से जुड़ी मान्यता ये है कि इसे भीम ने अपनी गदा के प्रहार से बनाया था। कौरवों के साथ खेले चौपड़ के खेल में जब पाण्डव हार गए तो शर्त के अनुसार पाण्डवों को अज्ञातवास में जाना पड़ा। हस्तिनापुर से निकले पाण्डव जब मध्यप्रदेश के छतरपुर में पहुँचे तो इसी कुंड के पास मौजद गुफा में उन्होंने अपना समय बिताया, और पीने के पानी के व्यवस्था के हेतु भीम ने अपनी गदा से इस कुण्ड का निर्माण किया। इसीलिये इस कुण्ड के साथ लोगों की आस्था भी जुड़ी है।

 इस कुण्ड की एक नहीं बल्कि कई विशेषताएँ हैं। इसका पानी काफी मीठा है। साल के 12 महीने ये पानी एकदम साफ रहता है। और इसका पानी कभी कम भी नहीं होता है। जब पम्प के सहारे इस कुण्ड के पानी को निकालने की कोशिश की गई तो देखा गया कि इसका पानी एक इंच भी कम नहीं हुआ। इसके साथ एक और चौंकाने वाली बात है कि इस कुण्ड की गहराई कितनी है ये आज तक पता नही चल पाया।

 कई गोताखोरों ने कोशिश की थी लेकिन किसी को भी कामयाबी नहीं मिली। इस कुँए की सबसे चौंकाने वाली विशेषता ये है कि ये कुण्ड भविष्य में होने वाली प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी पहले ही दे देता है। 


26 जनवरी 2004 को बंगाली की खाड़ी में एक जोरदार भूकम्प आया जिससे सुनामी की लहरें उठी और हम सबको पता है कि कैसे इन लहरों ने भारत सहित करीब 15 देशों में तबाही मचाई थी।

 लेकिन हिन्द महासागर के किनारे मची तबाही का इस भीमकुण्ड से क्या लेना देना ? 26 जनवरी 2004 को मतलब जिस दिन समुद्र में जब ये भूकम्प आया था उस दिन भूकम्प से कुछ देर पहले इस कुण्ड में कुछ ऐसी हरकतें देखीं गयी कि लोग हैरान हो गए इस कुण्ड में लगातार 10 से 15 फ़ीट ऊँची लहरे उठती रहीं, इन लहरों के पीछे का कारण किसी को भी समझ में नहीं आ रहा था लेकिन कुछ देर बाद ही तमिलनाडु से सुनामी की खबर आई, और इस कुंड में उठी लहरों का कारण पता चला। इस कुण्ड में ऐसी हलचल सिर्फ भारत से जुड़ी आपदाओं के समय ही नहीं होती। 

जब जापान, इंडोनेशिया और यहाँ तक कि नेपाल में भी भूकम्प आया था तब भी इस कुण्ड में ऐसी ही विशाल लहरे देखी गयी थी। ऐसा भी हो सकता है कि इसमें होने वाली विचित्र घटनाओ के पीछे कोई वैज्ञानिक कारण हो, लेकिन अगर ऐसा भी है तो ये भारत का एक ऐसा एकलौता कुण्ड होगा जो पहले ही चेतावनी दे देता हो। जब भी कही भूकम्प आने वाला होता है तो शांत स दिखने वाले इस कुंड का पानी हिलोड़े मारने लगता है। ये कुण्ड दुनिया का एकलौता ऐसा कुण्ड है जो किसी समुद्र से सैकड़ों मील दूर होने के बावजूद भी समुद्र में होने वाली घटनाओं का असर इसमें देखने को मिलता है। इस कुण्ड में कभी कभी अचानक ही मछलियाँ भी दिखाई देती है तो कभी वे मछलियाँ अचानक ही गायब भी हो जाती है।

हो सकता है कि ये कुण्ड नीचे से किसी समुद्र से जुड़ा हुआ हो, लेकिन इस थ्योरी में भी एक समस्या है अगर ये कुण्ड नीचे से किसी समुद्र से जुड़ा हुआ है तो इसका पानी खारा क्यों नहीं है। और हमसब ये जानते हैं कि मध्यप्रदेश किसी समुद्रतट से सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित है, तो ये किसी समुद्र से जुड़ा कैसे हो सकता है। इन कुण्ड की गहराई नापने की कोशिशें कई बार हुई। न सरकार इस काम में सफल हो पाई और न ही कोई गोताखोर। गोताखोरों ने अपना अनुभव बताते हुए ये कहा था कि 80 मीटर के बाद उन्हें काफी जोरदार खींचाव महसूस हुआ जैसे मानो कोई तेज बवण्डर पानी को अन्दर की तरफ खींच रहा हो।इस कुण्ड में कुछ लोगों ने अपनी जानें भी गँवाई हैं लेकिन जैसा कि ऐसी घटनाओं में होता है, कि पानी में डूबने के कुछ देर बाद शरीर फूल के ऊपर आ जाता है लेकिन जिसकी भी इस कुण्ड में मौत हुई है उसकी लाश आजतक कभी किसी को नहीं मिली। इन सारी बातों से ये बात तो साबित होती है कि ये कुण्ड फिजिक्स के सारे नियमों के विपरीत काम करती है। लेकिन इस कुण्ड के पीछे की सच्चाई आजतक रहस्य बनी हुई है।

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