वैसे तो भारत में ऐसे कई किले हैं जो अपनी मजबूती और बनावट के लिए मशहूर हैं। लेकिन आज हम बात करेंगे एक ऐसे किले की जो समुद्र के बिल्कुल बीचो बीच है। जिसकी बनावट इतनी रहस्यमयी थी कि ये किला आज तक कभी जीता नही जा सका।
ये किला है मुरुड़ जंजीरा किला। जो मुम्बई से 180 Km दूर रायगढ़ जिले में मौजूद है। ये किला एक द्वीप पर बना है, अरबसागर के बीच में।
शिवा जी महाराज भी नहीं जीत पाये थे इस किले को
कहा जाता हैं कि ब्रिटिश, पुर्तगाली, शिवाजी महाराज , कान्होजी आंग्रे, चिम्माजी अप्पा तथा संभाजी महाराज ने इस किले को जीतने का काफी प्रयास किया था, लेकिन कोई सफल नहीं हो सका। जिसके कारण इस किले को अजेय किला के नाम से जाना जाता हैं ।
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| Image Source : Amarujala |
अरब सागर के बीचों बीच हैं यह किला
कहा जाता है कि इस किले के पहले यहाँ के स्थानीय मछुआरों ने समुद्री लुटेरों से बचने के लिए एक लकड़ी का किला बनवाया था। जिस पर बाद में सिद्दी जौहर ने कब्जा कर लिया और 15 वीं सदी में यहाँ इस भव्य किले का निर्माण करवाया। ये किला 500 साल पुराना है और ये समुद्र के बीचों बीच मौजूद है। और इसके चारों तरफ मौजूद है अरब सागर।
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| मीठे पानी की झील Image Source : Social Media |
किले में स्थित है मीठे पानी की झील
जितना ये किला दिखने में सुन्दर है उतना ही ये किला रहस्यों से भरा हुआ है। भले ही इस किले के चारों तरह खारे पानी का समुद्र हो लेकिन इस किले में मौजूद एक झील में प्राकृतिक रूप से मीठा पानी मौजूद है। और ये किसी आश्चर्य से कम नहीं है। और आजतक कोई भी इस रहस्य का पता नहीं लगा पाया कि इस झील का पानी मीठा क्यों है ?
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| Image Source : Amarujala |
22 एकड़ , 22 वर्ष , 22 सुरक्षा चौकियां
इस किले के निर्माण से लेकर बेहद ही खास बात जुड़ी है। ये किला 22 एकड़ में फैला है और इसे बनाने के लिए 22 वर्ष लगे थे और तो और इस किले पर मौजूद सुरक्षा चौकियों की संख्या भी 22 है। इसके पीछे एक खास वजह भी है। ये किला पहले से समुद्र में मौजूद एक द्वीप पर बनाया गया था। और समुद्र में ज्वार-भाटा आते रहते हैं। जब समुद्र में ज्वार आती थी तो किले को बनाने वाले मजदूर पत्थरों को तराशने का काम करते थें और जैसे ही समुद्र में भाटा आता था, उन तराशें हुए पत्थरों का इस्तेमाल करके किले का एक टावर बनाया जाता। इस तरह हर साल में एक टावर बनाया गया, और 22 साल में 22 टावर का ये किला बन कर तैयार हुआ।
दरवाज़े की हैं खासियत
इस किले को बनाते समय इसके दरवाजे को भी बहुत खास तरह से बनाया गया था। इस दरवाजे की खासियत ये थी कि किले को दूर से देखने पर इस किले का दरवाजा कहाँ है ये पता नहीं चल पाता था।
इसलिए दुश्मन जब हमला करते तो वे समझ नहीं पाते कि दरवाजा कहाँ और किले के अन्दर कहाँ से घुसना है। किले की दीवारें भी 40 से 50 फ़ीट ऊँची हैं, और तो और इस किले पर 22 सुरक्षा चौकियाँ भी मौजूद थी जिसके द्वारा आने वाले दुश्मनों पर दिन रात निगरानी रखी जाती। इसीलिए इस किले पर कोई भी कब्जा नहीं पाया था।
इस किले के 22 चौंकियो पर मौजूद 22 तोपें आज भी सही सलामत है। पिछले 500 सालों में इन तोपों ने मौसम की काफी मार झेली होगी, लेकिन फिर भी इन तोपों पर आज तक जंग नहीं लगी है।
लेकिन दुख की बात ये है कि आज ये किला हर साल लोगो की मौत का कारण बनता है। जी हाँ!, हर साल इस किले को देखने आए लोगों में से कई लोग इसे देखने के चक्कर में पानी में डूब जाते हैं और दिन पर दिन ये संख्या बढ़ रही है। इस विशाल किले की खूबसूरती और इससे जुड़े रहस्य लोग अपनी आँखों से देखने के लिये सैकड़ों की तादात में रोज यहाँ आते हैं। और इनमें से कुछ लोग अपनी जान गँवा देते हैं।
ये था भारत के पश्चिमी तट पर स्थित एक मात्र अजेय किला जिसकी संरचना और रहस्य लोगों का ध्यान इस तरह आकर्षित करते हैं कि वे अपने जान भी जोखिम में डालकर इसे देखने जाते हैं।




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