टाइम कैप्सूल क्या होता है, और इसे जमीन के इतनी नीचे डालने का मकसद क्या होता है। इतिहास में कब कब इन टाइम कैप्सूल्स का इस्तेमाल किया गया था और दुनिया की सबसे बड़ी टाइम कैप्सूल का भारत से क्या संबंध है। आइए आपको बताते हैं -
टाइम कैप्सूल या जिसे हिंदी में काल पात्र कहते है। एक ऐसी डिवाइस होती है, जिसकी मदद से वर्तमान दुनिया से जुड़ी कई जानकारियों को सुरक्षित तरीके से आने भविष्य या किसी दूसरी दुनिया में भेजा जा सकता है। इसमे मौजूद डेटा कभी खराब होता है। किसी भी देश की कोई घटना से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों को हजारों सालों तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
टाइम कैप्सूल एक कंटेनर की तरह होता है जिसे खास सामग्रि के मिश्रण से तैयार किया जाता है। टाइम कैप्सूल हर तरह के मौसम का सामना करने में बहुत सक्षम होता है, उसे जमीन के अंदर काफी गहराई में दफनाया जाता है। ये टाइम कैप्सूल इतनी सुरक्षित होती हैं कि हजारों फ़ीट की गहराई में जमीन में किसी भी प्रकार कागजात या किसी भी चीज को कम से कम 5000 सालों तक सुरक्षित रख सकता है। इतनी गहराई में होने के बावजूद भी हजारों वर्षों तक न तो यह वह सड़ता-गलता है उसे कोई नुकसान पहुंचता है। पृथ्वी के अंदर होने वाली तमाम उथल-पुथल को झेल सकता है।
भारत से लेकर विदेशों में आज तक टाइम कैप्सूल के रखे जाने के कई प्रमाण मिले हैं।15 अगस्त 1973 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लाल किले के सामने जमीन के नीचे एक टाइम कैप्सूल रखा था। स्वतंत्रता दिवस की 25वीं वर्षगांठ के मौके पर इस टाइम कैप्सूल में आजादी के बाद की घटनाओं से जुड़े कई कागजात रखे गए थे। इंदिरा गांधी ने उन कागजात में क्या लिखवाया था ये आज भी विवाद का विषय है।
कैसा दिखाई देता है टाइम कैप्सूल ?
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| टाइम कैप्सूल क्या होता है, How to make a time capsule |
अभी तक इसके आकार, प्रकार या रूप को लेकर कोई स्पष्ट माप या स्टैंड नियम नहीं हैं। बनाबट के हिसाब ये बेलनाकार, चौकोर, आयताकार या किसी अन्य रूप में हो सकते हैं। बस बात यही है कि कैप्सूल या काल पात्र अपना उद्देश्य पूर्ण करके कीमती जानकारी को ख़ास समय तक सुरक्षित रख सके और आगे आने पीढ़ी तक पहुंचा सके। उदाहरण के 2020 की जानकारी 3020 का के लोगो तक मिल सके तो इस इस्तेमाल करके यह किया जा सकता है, की लोग किस तरह रहा करते थे, किस तरह की तकनीकों का इस्तेमाल किया करते थे आदि।
पहले ये कागजात पायेरेक्स ग्लास से बने एक ट्यूब में रखे गए, पायेरेक्स ग्लास को आग से भी कोई नुकसान नहीं पहुंचता। इस ट्यूब को बाद में ताँबे की एक ट्यूब में डाला गया और फिर इस ताँबे की ट्यूब को स्टील के बॉक्स में बंद किया गया। टाइम कैप्सूल बनाने की यही प्रक्रिया होती है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि टाइम कैप्सूल का मतलब कोई कैप्सूल या बॉक्स ही होगा जिसमें हजारों साल पुरानी चीजे मिलती हैं।ये टाइम कैप्सूल किसी दूसरे रूप में भी हो सकती हैं। विदेशो में खुदाई के दौरान आज तक कई टाइम कैप्सूल मिली हैं, जिनमे मौजूद कागजात सैकड़ो सालों बाद भी सुरक्षित थे, 30 नवम्बर 2017 में स्पेन की राजधानी से 80 किमी दूर एक चर्च के नीचे से ईसामसीह की एक मूर्ति मिली थी ये मूर्ति भी दरअसल एक टाइम कैप्सूल थी इस मूर्ति के भीतर से कई दस्तावेज मिले जो 1777 के थे। इन कागजातों में 18वीं सदी के स्पेन के लाइफस्टाइल की जानकारी थी। अमेरिका में भी एक टाइम कैप्सूल मिला जो 1795 का था, जिसमे उस समय के कई पुराने अखबार थें और 18वीं सदी के कई सिक्के भी रखे हुए थे, ये अमेरीका की आजतक की मिली सबसे पुरानी टाइम कैप्सूल थी। ठीक इसीतरह अयोध्या में बन रहे श्रीराम मंदिर में टाइम कैप्सूल रखा जा रहा है ताकि हजारो सालो बाद भी भगवान राम के नाम पर,उनके मंदिर पर कोई विवाद न हो। इस टाइम कैप्सूल में इस मंदिर से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी और रामायण से जुड़ा इतिहास मौजूद होगा।
आजतक की सबसे बड़ी टाइम कैप्सूल जॉर्जिया में बनी थी, जिसे बनाने में 4 साल लगे थें। ये स्टील से बना एक मजबूत कमरा है, जिसे Crypt Of Civilization नाम दिया गया। इस कमरे में दुनिया भर के कई सारे महत्वपूर्ण कागजात और चीजें रखी हुई हैं। ये वह चीजें हैं जो उस समय के इंसानो के जीने का तरीका बताती है। इस कमरे में मौजूद चीजों को सुरक्षित रखने के लिए इस कमरे से हवा निकल कर इसमें एक खास तरह का Inert गैस भरा गया ताकि चीजे खराब न हों। इस कमरे में 800 किताबे है और एक ऐसा डिवाइस है जो इंग्लिश पढ़ना सिखाता है। मतलब अगर 5000 साल बाद जब शायद आज की सभ्यता खतम हो जाती है और अगर उस समय का कोई इन्सान इस कमरे में पहुँचता है और अगर उसे इंग्लिश भी नहीं आती है तो वो इंग्लिश सीख कर हमारे बारे में जान सकता है। इस टाइम कैप्सूल यानी इस कमरे में दुनिया के सबसे पुराने योग केंद्र के संस्थापक योग गुरु श्री योगेंद्रजी की किताबें रखी हैं जिससे भारत के बारे में, यहाँ की संस्कृति के बारे में पता चल सके।
भारत मे टाइम कैप्सूल का इतिहास
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लाल क़िले के अंदर टाइम कैप्सूल डलवाया था।
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने साल 2010 में 6 मार्च को आईआईटी कानपुर में एक टाइम कैप्सूल को ज़मीन में डाला था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए महात्मा मंदिर में टाइम कैप्सूल डाला था।
अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच अगस्त को ज़मीन से 2000 फीट नीचे राम मदिर में ये टाइम कैप्सूल डालते हैं, तो वे ऐसा करने वाले दूसरे प्रधानमंत्री होंगे।
Ayodhya Ram Mandir Time Capsule
हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अयोध्या में पांच अगस्त को जब राम मंदिर का शिलान्यास और भूमि पूजन करेंगे तो इस दौरान मंदिर की नींव में टाइम कैप्सूल भी डाला जाएगा। इस बात की जानकारी श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने दी है। इन्होंने बताया कि अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की नींव में एक टाइम कैप्सूल यानी काल पात्र डालने का फ़ैसला हमारी कमेटी की तरफ से किया गया है।
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