हमारी पृथ्वी पर न जाने कितने रहस्यमयी द्वीप है। लेकिन एक द्वीप ऐसा है जहाँ के रहस्यमय मूर्तियों की नजर समुन्दर पर टिकी है, और पूरी दुनिया की नजर इन मूर्तियों पर।
हम बात कर रहें हैं ईस्टर आइलैंड की जो कि चिली देश का हिस्सा है। और ये द्वीप चिली देश से 2300 मिल दूर पैसेफिक महासागर में मौजूद है। ये द्वीप काफी छोटा है और इसका क्षेत्र मजह 63 मील है। लेकिन इस छोटे से द्वीप पर सबसे हैरान कर देने वाला अगर कुछ है तो वो है यहाँ मौजूद 887 मूर्तियाँ।
इस आइलैंड पर स्थापित मूर्तियों को 'मोई' नाम से जाना जाता हैं ।
ये सारी मूर्तियाँ बिल्कुल एक जैसी ही है। और पहले ऐसा माना जाता था कि यहाँ जमीन पर सिर्फ पत्थरों के सिर रखे हुए है। लेकिन जैसे ही मई 2012 में खोजकर्ताओं ने यहाँ खुदाई शुरू की तो ये बात सामने आई कि इन मूर्तियों का निचला हिस्सा जमीन के नीचे धँसा हुआ है। और इन मूर्तियों के आकार ने शोधकर्ताओं को हैरत में डाल दिया। यहाँ की सबसे बड़ी मूर्ति 33 फ़ीट ऊँची और 90 टन भारी है।
इन सारी मूर्तियों की नजर एक ही दिशा में है सिवाय यहाँ के एक विशेष 7 मूर्तियों के समूह को छोड़कर, जिनकी नजर समुन्द्र के ओर है। ऐसा लगता है कि मानो ये मूर्तियां समुद्र की ओर से आने वाले दुश्मनो से इस आइलैंड की रक्षा करती हों।
इन सारी मूर्तियों में से एक मूर्ति सबसे अलग है और उसे घुटनो के बल बैठे दिखाया गया है। इस अलग दिखने वाले मूर्ति की दाढ़ी भी दिखाई गई है। जबकि बाकी सारी मूर्तियां दिखने में इंसानो जैसी बिल्कुल नहीं दिखती। लेकिन इतनी विशाल मूर्तियाँ यहाँ किसने बनाई होगीं और इनको बनाने के पीछे क्या मकसद होगा।
एलियंस में रुचि रखने वाले शोधकर्ता और लोग ये मानते हैं कि इन मूर्तियों को परग्रहियों ने बनाया है लेकिन ये बात झूठ है,क्योंकि रिसर्च करने के बाद ये पता चला है कि इन सारी मूर्तियों को बनाने के लिए जो पत्थर इस्तेमाल हुआ था, वो इसी आइलैंड में मौजूद एक ज्वालामुखीय पर्वत के पास से लाया गया था, इस आइलैंड पर करीब 17,000 लोग रहा करते थे, जिन्होंने मिलकर इसे बनाया था, लेकिन इन मूर्तियों को क्यों बनाया गया था ये अभी तक एक राज है।
ये विशालकाय मूर्तियाँ पूरे टापू पर फैली हैं। जिन्हें देख ये सवाल मन मे आता है कि हजारों सालों पहले इन मूर्तीयों को एक जगह से दूसरे जगह कैसे ले जाया गया होगा। इसके पीछे कई कहानियां है। इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए शोधकर्ताओं की एक टीम ने इन मूर्तियों के वजन जितनी ही एक मूर्ति बनाई और उसके साथ एक्सपेरिमेंट किया और ये बात साबित की, कि सिर्फ रस्सी के सहारे इतनी विशालकाय मूर्तियों को एक जगह से दूसरे जगह ले जाया जा सकता है।
एक सवाल और है कि इस आइलैंड पर रहने वाले लोग अचानक से कहाँ गायब हो गए ?
बताया जाता है कि इन मूर्तियों को रापा नुई कहे जाने वाले लोगों ने वर्ष 1250 से लेकर 1500 के बीच बनाया था, जो ईस्टर आइलैंड पर ही रहते थे। इन्हें बनाने के पीछे की वजह ये बताई जाती है कि वो इन्हें अपने पूर्वजों की याद और सम्मान में बनाते थे, लेकिन इन मूर्तियों को बनाने के चक्कर में जब पेड़ों की अंधाधुंध कटाई होने लगी तो इस द्वीप पर रहना रापा नुई के लिए मुश्किल हो गया। माना जाता है कि इसी वजह से वो इन मूर्तियों का काम अधूरा छोड़कर ही यहां से कहीं और चले गए।
तो ये थी सच्चाई ईस्टर आइलैंड की, जहाँ के कुशल कारीगर लोगों ने पत्थरों से कुछ ऐसे शिल्पों का निर्माण किया था जो आज भी सारी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
नोट : यह समस्त जानकारी इंटरनेट के माध्यम से प्राप्त की गई हैं ।


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