चन्द्रमा सूर्यमण्डल में पृथ्वी में बाद ऐसा स्थान है जहाँ इंसान ने कदम रखा है। आज तक वैज्ञानिकों ने चाँद के बारे में जानकारी हासिल करने की कई कोशिशें की। इसमें काफी हद तक वो सफल भी रहें और चन्द्रमा से जुड़ी कई चौंकाने वाली बातें सामने आयी। आज हम आपको चन्द्रमा से जुड़े ऐसे ही कई हैरान करने वाले तथ्य बताएंगे।
● चाँद वैसा बिल्कुल नहीं है जैसा हम किसी फ़ोटो या वीडियो में देखते हैं, मतलब चाँद का आकार गोल नहीं है बल्कि अण्डाकार है और चाँद की इस आकार की वजह है पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति।
● हम सूर्यग्रहण तो साल में कई बार देखते हैं लेकिन चंद्रग्रहण कई सालों में लगता है।
●चाँद का व्यास करीब 2160 मील है।
● चाँद हमारे सोलर सिस्टम का 5वां सबसे बड़ा उपग्रह है।
● पृथ्वी से चंद्रमा और सूरज हमें एक ही आकार के दिखते हैं लेकिन सच बात तो ये है कि चाँद से सूर्य 400 गुना बड़ा है लेकिन फिर भी दोनों के एक ही आकर के दिखने का कारण ये है कि चाँद के मुकाबले सूर्य पृथ्वी से 400 गुना दूर है।
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| Image Source : NASA |
● पृथ्वी से चाँद काफी चमकीला दिखाई देता है लेकिन चंद्रमा की सूर्य की रोशनी को परावर्तित ( Reflected ) करने की क्षमता पृथ्वी से 3 गुना कम होती है।
● चाँद पर पहला कदम रखते हुए नील आर्मस्ट्रांग को दुनियाभर में 60 करोड़ लोगों ने टीवी पर लाइव देखा था।
अपोलो स्पेसक्राफ्ट को चाँद पर लैंड कराने के लिए नासा के कंट्रोल रूम में जो कंप्यूटर्स प्रयोग हुए थे, उनकी तुलना अगर आज की टेक्नोलॉजी से करें तो उन कंप्यूटर से तेज तो आज के स्मार्टफोन्स हैं।
● चाँद पर भी दिन और रात होती है, चाँद पर एक दिन पृथ्वी के 29 दिन के बराबर होती है।
● चाँद की डार्क साइड मतलब जो साइड पृथ्वी से दिखाई नहीं देती, उसका कारण ये है चन्द्रमा अपने अक्ष पर एक चक्कर लगभग उतने ही दिन में लगता है जितना वो पृथ्वी के एक चक्कर लगाने में लगाता है, इससे उसकी पीछे को सतह पृथ्वी से कभी नजर नहीं आती।
● चन्द्रमा के डार्क साइड की तस्वीर सबसे पहले 1959 में रूस के स्पेसक्राफ्ट लूना-3 ने ली थी।
● चाँद के सतह पर जो गड्ढे बने हैं वो आज से करोड़ो साल पहले उल्कापिंडों के टकराने से बने थें, लेकिन आज करोड़ो साल बाद भी वो वैसे ही दिखाई देते हैं इसका कारण ये है कि चाँद पर वातावरण नगण्य है और न ही चंद्रमा की सतह पर ज्यादा कुछ हलचल होती है।
●चाँद पर पानी मौजूद है लेकिन बर्फ के रूप में और सतह के अंदर।
●चाँद पर चलते एस्ट्रोनॉट्स को देख कर लगता है कि चाँद की सतह पर चलना कितना आसान और मजेदार होगा, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है, चाँद पर एक जगह से दूसरे जगह छलांग लगते वक्त भारी स्पेससूट की वजह से एस्ट्रोनॉट का पैर 6 इंच तक जमीन के अंदर धँस सकता है और अगर उन्होंने ज्यादा लंबी छलांग ली तो किसी बड़े क्रेटर में गिरने की भी संभावना होती है।
●चंद्रमा का भी अपना एक वातावरण है जिसे Exosphere कहते हैं जो हीलियम निऑन और आर्गन से बना है और इसकी घनत्व पृथ्वी से 10 ट्रिलियन गुना कम है।
●हमारे सूर्यमंडल में पृथ्वी के बाद चंद्रमा एकलौती ऐसी जगह है जहाँ इंसान ने कदम रखा है।
●चाँद के तापमान में काफी भारी मात्रा में बदलाव होते रहते हैं, रात को चाँद के इक्वेटर का तापमान -173℃ तक गिर जाता है, तो दोपहर में चाँद का तापमान +127℃ तक बढ़ सकता है।
●चाँद सूरज का सबसे नजदीकी प्राकृतिक उपग्रह है, क्योंकि शुक्र और बुध ग्रह के कोई प्राकृतिक उपग्रह नहीं हैं।
●आज 50 साल के बाद भी नील आर्मस्ट्रांग के पैरों के निशान चाँद के सतह पर वैसे ही बने हुए हैं क्योंकि चाँद पर न तो हवा है और न ही वहाँ बारिश होती है।
चाँद पर 200 टन कचरा मौजूद है जिसे स्पेस जंक कहते है और ये पृथ्वी से गये एस्ट्रोनॉट्स द्वारा वहाँ छोड़ा गया था।
●चाँद हर साल पृथ्वी से 1.5 इंच दूर जा रहा है और आने वाले 60 करोड़ सालों में चाँद पृथ्वी से इतनी दूर जायेगा कि चाँद पृथ्वी से काफी छोटा दिखाई देगा और पूर्ण सूर्यग्रहण फिर कभी नहीं हो पायेगा।
● चंद्रमा पर पानी होने की आशंका दुनिया भर के कई वैज्ञानिको ने जताई थी, लेकिन पहली बार चाँद पर पानी के सबूत ढूंढ़ने वाला देश था भारत, जो कि चन्द्रयान 1 में लगे Moon Minerology Mapper के द्वारा ढूंढा गया था।


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