जब हमारे सूर्यमंडल का नया नया जन्म हुआ था उस समय पृथ्वी और मंगल ग्रह ये उन ग्रहों में से थे जहाँ का ज्यादातर पृष्ठ भाग सिर्फ पानी से भरा था । लेकिन बाद में कुछ करोड़ों सालों में इन दो ग्रहों में कुछ ऐसे गजब के बदलाव हुए जिन्होंने इनका रूप पूरी तरह से बदल दिया, और वो रूप बन गया जो आज हम देख रहे हैं। मंगल ग्रह पर आज पानी नहीं है ना ही वहाँ जीवन पनपने के कुछ संकेत मिलते हैं, और वहीं दूसरी तरफ़ है पृथ्वी जो पानी और अनगिनत जीव जंतुओं से भरी है। लेकिन क्या सच में मंगल ग्रह पर पानी था ? और अगर था तो वो पानी खत्म कैसे हुआ? ऐसा क्या हुआ कि मंगल ग्रह की आज ऐसी हालत है और वहीं दूसरी ओर पृथ्वी पर जीवन मौजूद है। ऐसे कई सवालों के जवाब ढूंढ निकाले थे नासा के मार्स रोवर 'क्यूरियॉसिटी' ने।
क्यूरियॉसिटी रोवर को मंगल ग्रह के पत्थरों का अभ्यास करने पर ये पता चला कि एक समय ऐसा था जब इस ग्रह की सतह से पानी बहता था और यहाँ कई नदियों के बहने के सबूत मिले हैं। और अगर यहाँ पानी मौजूद था तो ये बात भी साफ है कि यहाँ वातावरण भी रहा होगा। लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि आज इस ग्रह की ये हालात है ?
जब हमारे सोलर सिस्टम का जन्म हुआ तो सूरज से निकलने वाली सोलर विंड आज के मुकाबले काफी तेज और खतरनाक हुआ करती थी और सोलर सिस्टम के सारे ग्रहों के वातावरण में प्रवेश करती थी । जैसे ही सूर्य से निकले वाले ये फोटोन्स मंगल ग्रह के वातावरण में प्रवेश करते तो वो यहाँ के इलेक्ट्रॉन्स से टकरा कर उनका आयन्स में रूपांतर करते। सूरज से निकलने वाली सोलर विंड और सूर्य की मैग्नेटिक फील्ड भी जैसे ही मंगल ग्रह के वातावरण में पहुँच जाती यहाँ के वातावरण में मौजूद आयन्स को अपनी ओर आकर्षित कर लेतीं। ये प्रक्रिया करोड़ो साल तक चली और धीरे धीरे मंगल ग्रह के वातावरण का नाश हो गया। शुक्र ग्रह के वातावरण के खत्म होने के पीछे भी यही वजह थी। वीनस एक्सप्रेस मिशन से ये बात सामने आयी है कि सोलर विंड की वजह से ही शुक्र ग्रह ही वातावरण में मौजूद हाइड्रोजन और ऑक्सीजन मॉलीक्यूल वातावरण से बाहर निकल गए, और आज शुक्र ग्रह के वातावरण में सिर्फ कार्बन डाइऑक्साइड ही भारी मात्रा में मौजूद है। लेकिन सूर्य की इस भयानक सोलर विंड से हमारी पृथ्वी का बचाव कैसे हुआ? हमारी पृथ्वी के पास एक ऐसी चीज है जो मंगल और शुक्र ग्रह के पास नहीं थी और वो है पृथ्वी की 'मैग्नेटिक फील्ड'। जो सूर्य से आने वाली सोलर विंड और मैग्नेटिक फील्ड को खुद से दूर ढकेल देती है।इसके अलावा पृथ्वी पर मौजूद बर्फ और बादल सूर्य के इन हानिकारक सोलर विंड को सोख लेते हैं, इस सोखी हुई एनर्जी के कारण ही पृथ्वी के अलग अलग हिस्से में अलग अलग मौसम देखे जाते हैं। और इस मौसम में बदलाव भी एक के बाद चलते रहते हैं और इन्ही मौसम के बदलाव की वजह से पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत हुई थी।

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