चॉकलेट ककाओ (Cacao) नाम के पेड़ों के फलों से बनाया जाता है। इस पेड़ की खोज लगभग 2000 साल पहले अमेरीका में हुई थी। उस समय इन पेड़ों के फलों की ऊपरी परत को निकाल कर उसे कॉर्न मिल्क और मिर्च पाउडर के साथ मिला कर इससे एक पेय पदार्थ बनाया जाता था। इसकी टेस्ट आज के चॉकलेट से विपरीत स्वाद में कड़वी होती थी। मेसोअमेरिकन लोग चॉकलेट को भगवान की भेंट मानते थे उनकी मान्यता थी कि Cacao पेड़ से मिलने वाला कोकोआ एक स्वर्गीय फल है। उस वक्त के मेक्सिकन लोग चॉकलेट का इस्तेमाल मुद्रा के रूप में किया करते थे, और चॉकलेट ड्रिंक का शाही दावतों में भी भरपूर मात्रा में सेवन हुआ करता था, और तो और सैनिकों को बख्शीश के तौर पर कोको फल ही दिए जाते थे। चॉकलेट शब्द भी प्राचीन मेक्सिकन लोगों द्वारा दिया गया था, जिसका उनकी भाषा में मतलब होता है 'कड़वा'।
साल 1519 में पहली बार चॉकलेट अमेरिका से निकल कर बाहर के देशों तक पहुँचा। और उन देशों में सबसे पहला देश था स्पेन। स्पेन से आये एक व्यापारी हर्निस कारटीस ने पहली बार इस फल को स्पेन पहुँचाया, स्पेन में भी ये जल्द ही बहुत लोकप्रिय हो गया। स्पेन के राजा को चॉकलेट ड्रिंक इतना पसंद आया कि उनके पास चॉकलेट ड्रिंक को पीने के लिए 50 सोने के मग थें।
शुरुआती दौर में चॉकलेट को मेडिसिन के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता था जो कि पेट दर्द जैसी बीमारियों के लिए कारगर उपाय था। बदलते समय के साथ चॉकलेट दुनिया भर में फैलता चला गया। यूरोपियन लोगों ने इस कड़वे पदार्थ मे शहद और शक्कर मिला कर पीना शुरू किया। जिसने चॉकलेट की लोकप्रियता और माँग और बढ़ा दी। लेकिन चॉकलेट बनाने की प्रक्रिया बहुत ही कठिन थी जिससे इसका ज्यादा मात्रा में उत्पादन करना मुश्किल होता जा रहा था। लेकिन 1828 में चॉकलेट की दुनिया तब हमेशा के लिए बदल गयी जब एम्स्टर्डम में वान हॉटेन नाम के एक व्यक्ति ने चॉकलेट प्रेस का इन्वेंशन कर दिया । ये मशीन Cacao के फलों से नेचुरल फैट यानी कोकोआ बटर और कोकोआ पाउडर को अलग कर देती थी। इस कोको पाउडर को फिर अलग अलग चीजों में मिला कर पीने के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा। स्विट्जरलैंड के डैनियल पीटर नाम के चॉकलेट बनाने वाले Industrialist ने पहली बार इसे दूध के साथ मिक्स किया और चॉकलेट मिल्क का अविष्कार हुआ। जिसे भी बेहद पसन्द किया गया। समय बीतता गया और चॉकलेट की डिमांड बढ़ती गयी।
इसी डिमांड को पूरा करना एक समस्या बन रहा था क्योंकि चॉकलेट के पेड़ों को अनुकूल तापमान सिर्फ भूमध्य रेखा में आने वाली जगह ही दे सकती थी, इनमे मुख्यतः साउथ अफ्रीका जैसे देश आते थे, इसी कारण चॉकलेट का उत्पादन साउथ अफ्रीका में बढ़ने लगा और आश्चर्य की बात तो ये है कि भले ही चॉकलेट की खोज अमेरिका में हुई हो लेकिन आज चॉकलेट का 70% उत्पादन अफ्रीका में होता है। बढ़ती डिमांड की वजह से और ज्यादा वर्कर्स की जरूरत पड़ने लगी , इसी कारण अफ्रीका में गुलामी और बाल मजदूरी जैसी समस्या बढ़ने लगी। बहुत बार इसका विरोध हुआ और चॉकलेट कम्पनियों ने इसको रोकने की अपील की लेकिन फिर भी इसको कुछ खास तरह से काबू नहीं किया जा सका। तो अगली बार जब आप चॉकलेट का रैपर खोले तो इसके इतिहास के बारे भी सोचना।

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