बोगीबील पुल । Bogibeel Bridge

बोगीबील पुल ब्रिज के बारे में जानकारी |Bogibeel Bridge  information in hindi


बोगीबील ब्रिज ( Bogibeel Bridge ) भारत का सबसे लम्बा रेल-सह-सड़क सेतु ( longest rail-cum-road bridge in India ) है । 


Bogibeel bridge
Image Source : TOI


बोगिबील पुल की लंबाई 

Length of Bogibeel Bridge

बोगिबील पल की लंबाई 4.94 कि. मी. हैं । यह पुल एशिया का दूसरा और भारत का सबसे लंबा रेल-कम-रोड ब्रिज है । 


अब सबसे पहले यह जान लेते हैं कि रेल-कम-रोड ब्रिज का क्या मतलब होता है ? 

यो आसान शब्दों में कहे तो डबल-डेकर यानी दो तल्ले का पुल होता है। एक तल्ले पर रेल बिछी होती है जिसपर ट्रेन चलती है और दूसरे पर रोड होती है जिसपर गाड़ियां चलती हैं । बोगिबील एक डबल डेकर पुल है । पुल के  नीचे के डेक पर दो रेल लाइने हैं और ऊपर के डेक पर तीन लेन की सड़क है। रेल लाइन पर 100 किलोमीटर की रफ्तार से ट्रेनें दौड़ सकेंगी । अब जानते है बोगिबील पुल से जुड़े कुछ पॉइंट 


● बोगिबील  पुल की आधारशिला सन 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एच. डी. देवगौड़ा ने रखी थी, लेकिन इसका निर्माण कार्य साल 2002 में अटल जी की सरकार में शुरू हुआ । और 25 दिसंबर 2018 को पुल का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी ने किया ।

● भारत के असम राज्य में ब्रह्मपुत्र नदी पर बना एक पुल है । जो कि नदी के उत्तर तट को दक्षिण तट से जोड़ेगा.

● बोगीबील पुल एशिया का दूसरा सबसे लंबा रेल-रोड पुल है । 

Image Source : India Today 

● बोगीबील सेतु का जीवनकाल 120 वर्ष अनुमानित है। पुल को बनाने में 30 लाख सीमेंट की बोरियों का इस्तेमाल किया गया। इतनी सीमेंट से 41 ओलिंपिक स्वीमिंग पूल बनाए जा सकते हैं।

● इसके साथ ही ये पुल सेना के काम भी आएगा । भारत के पूर्वोत्तर सीमा तक सेना को पहुंचने में इस पुल से काफ़ी मदद मिलेगी और अरुणाचल में किबिथू, वलॉन्ग और चगलगाम चौकियों तक सेना पहले की अपेक्षा जल्दी और आसानी से पहुंच जाएगी।

● बोगीबील पुल भारत का एकमात्र पूरी तरह से वेल्डेड पुल है जिसके लिए यूरोपीय कोड और वेल्डिंग मानकों का पालन किया गया है ।

● यह पुल ब्रह्मपुत्र नदी पर बना हुआ है जोकि 42 खम्भों पर टिका हुआ है और प्रत्येक खम्बा नदी के अंदर 62 मीटर तक गाड़ा गया है । यह पल 8 तीव्रता का भूकंप झेलने की क्षमता रखता है । 

● इस पुल की वजह से धेमाजी से डिब्रूगढ़ की दूरी महज 100 किलोमीटर रह जाएगी, जो सिर्फ़ 3 घंटे में पूरी की जा सकेगी । जबकि इससे पहले दोनों शहरों का फ़ासला 500 किलोमीटर का था, जिसे पूरा करने में 24 घंटे का वक्त लगता था ।


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