भूपेन हजारिका पुल । Bhupen Hazarika Setu

 भूपेन हजारिका पुल या ढोला सदिया ब्रिज के बारे में जानकारी | Dhola Sadiya bridge or Bhupen Hazarika Setu information in hindi


Bhupen hazarika pul


भूपेन हजारिका पुल भारत का सबसे लंबा पुल हैं । जिसे ढोला सदिया के नाम से भी जाना जाता हैं । 26 मई 2017 को इस पुल का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा हुआ  । नरेन्द्र मोदी को असम के मुख्यमंत्री सोनोवाल सरबानंद ने भारत के इस पुल का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया था। संयोगवश इस दिन मोदी सरकार के कार्यकाल की तीसरी वर्षगाठ भी थी।



 भूपेन हजारिका पुल की लम्बाई और चौड़ाई  ( Bhupen Hazarika Setu length and width  )   

भूपेन हजारिका पुल की लम्बाई 9.15 किलोमीटर और चौडाई 12.9 मीटर हैं । 


भूपेन हजारिका पुल किस नदी पर बना हैं ?

भूपेन हजारिका पुल लोहित नदी पर बना हुआ हैं , जो कि ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक नदी हैं । 


Bhupen hazarika pul
Image Source : TOI


क्या ज़रूरत इस पुल को बनाने की 

भूपेन हजारीका पुल के निर्माण के पूर्व इस स्थान को पार करने के लिए एकमात्र साधन नौका होता था , लेकिन जब कभी बाढ़ आ जाती तो यहां पर कोई दूसरा साधन उपलब्ध नहीं होता था जिससे नदी को पार किया जाए । यह पुल असम के ढोला को अरुणाचल प्रदेश के सादिया शहर को जोड़ता है । यह अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र के उत्तरी क्षेत्रों में आर्थिक विकास को भी बढ़ाने में मदद करेगा । यह पुल असम और अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी भाग के 24×7 कनेक्टिविटी को प्रदान करेगा ।  


Bhupen hazarika pul
Image Source : TOI 

■ ढोला सदिया पुल से लाभ

● इस पुल के निर्माण के साथ ही परिवहन नेटवर्क मज़बूत होगा , जिससे वाहनों का आवागमन बढ़ जाएगा जो कि विकास की गतिविधियों को नई रफ्तार प्रदान करेगा ।

● इस पुल के निर्माण की वजह से यह औधोगिक निवेश में भी बढ़ोतरी करेगा। इस पुल के बन जाने से इस क्षेत्र में निवेशक भी आकर्षित होंगे ।

● अरुणाचल प्रदेश में कोई हवाई अड्डा नहीं है जिस वजह से लोग सड़क के माध्यम से इस क्षेत्र में प्रवेश करना हितकर समझेंगे, जो कि राज्य की आमदनी को बढ़ावा देगी और विकास कार्यों में तेजी आएगी ।

● दक्षिण देशों से भी व्यापार संबंध अच्छे होंगे जिससे व्यापार में वृद्धि होगी ।

● इस पुल के बन जाने से असम से अरुणाचल प्रदेश की यात्रा में कम समय लगेगा, जिसका फ़ायदा सेना को भी होगा, इससे पूर्वोत्तर क्षेत्र में भारत की रक्षा क्षमता में बढ़ोतरी होगी, साथ ही भारत चीन सीमा पर सेना को पहुचने में भी कम समय लगेगा। यह पुल भारत चीन सीमा पर विशेष रक्षा आवश्यता को पूरा करने में मदद देगा। इसे इतना मजबूत बनाया गया है कि इससे भारतीय सेना के 60 टन वजनी टैंक भी आसानी से निकल सकते हैं।

● यह पुल पूर्वोत्तर के किसानों द्वारा उगाए जाने वाले उच्च गुणवत्ता वाले अदरक के लिए एक नया मार्ग खोलेगा और उनकी वित्तीय हालत में सुधार लाएगा. अगर वे इस जैविक अदरक की खेती करते हैं तो उनके लिए वैश्विक बाजार के द्वार खुलेंगे । 

● ढोला नदी पुल असम की राजधानी दिसपुर से 540 किलोमीटर की दूरी पर है और साथ ही यह अरुणाचल प्रदेश की राजधानी इटानगर से 300 किलोमीटर की दुर है। इस पुल की वजह से 165 किलोमीटर की दूरी कम हो जाएगी। जिस यात्रा को करने में 6 घंटे लगते थे इस पुल की वजह से उसे अब 1 घंटे में पूरा किया जा सकेगा।

● 182 खंभों पर टिके इस पुल के निर्माण में भूकंपरोधी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, क्योंकि पूर्वोत्तर राज्यों में भूकंप के झटके लगातार आते रहते हैं।


क्यों रखा गया भूपेन हजारिका पुल नाम
असम के सादिया में महान गायक भूपेन हजारिका का जन्म हुआ था । भूपेन हजारिका जी को भारत रत्न, पद्मविभूषण, पद्म श्री, दादासाहब फाल्के, पद्मभूषण, संगीत नाटक अकादमी फ़ेलोशिप, असम रत्न, मुक्तिजोद्धा पदक आदि अवार्ड मिल चुके हैं । जिसके कारण पुल का नाम भूपेन हजारिका पुल किया गया ।


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