हाथी के बारे में कुछ रोचक तथ्य | Amazing Facts About Elephant

 

हाथी के बारे में कुछ रोचक तथ्य , Amazing Facts About Elephant
हाथी के बारे में कुछ रोचक तथ्य , Amazing Facts About Elephant

हाथी स्थल पर रहने वाला सबसे विशालकाय स्तनपायी है, जो मुख्यतः सहारा अफ़्रीका, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में पाया जाता है। पंखे जैसे बड़े-बड़े कानों और बड़े दांतों वाले जानवर हाथी का दिमाग संपूर्ण प्राणी-जगत में सबसे विकसित दिमाग है। इसकी गणना एक बुद्धिमान जानवर में होती है। हाथी मनुष्यों की तरह ही अपनी भावनाएं प्रदर्शित करता है। इस पोस्ट में हम हाथी से जुड़े ऐसे रोचक तथ्य बताएंगे जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगे


हाथी जमीन पर रहने वाला एक विशाल आकार का प्राणी है। यह जमीन पर रहने वाला सबसे विशाल स्तनपायी है। 

हाथी एक एकलौता जानवर है जिसके चार घुटने होते है और वह कूद नही सकता।

हाथी की सूंड में 40000 मांस पेशियां होती है लेकिन हड्डी एक भी नही होती है।

हाथी की सूंड इतनी संवेदनशील होती है कि घास का एक तिनका भी उठा सकती है वही दूसरी तरफ़ इतनी मज़बूत भी होती है कि पेड़ की टहनियाँ भी उखाड़ सकती है।

हाथी भी बहुत अच्छा तैराक होता है, तैरते समय हाथी अपनी सूंड का भी इस्तेमाल करता है।

हाथी दिन में करीब 10 से 20 किलोमीटर तक चल सकते हैं और सिर्फ तीन से चार घंटे सोते हैं।

हाथी खड़े होकर भी सो सकते है।

हाथी अपने विशालकाय शरीर की गर्मी को कानों के जरिये बाहर निकालते हैं। यह काम हाथी के कानों की कोशिकाएं करती हैं।

हाथी सूंड का इस्तेमाल पानी पीने के लिए भी करता है।

हाथी सूंड में एक बार में करीब १४ लीटर पानी खींच सकता है।

हाथी लगभग एक दिन में 100 से 120 किलो तक भोजन खा सकते हैं।

हाथी का गर्भ काल 22 महीनों का होता है, जो कि ज़मीनी जीवों में सबसे लम्बा है।

हाथी की त्वचा कठोर होने के बावजूद बेहद संवेदनशील होती है।

जन्म के समय हाथी का बच्चा क़रीब 104 किलो का होता है।

हाथी का औसत जीवन काल 50 से 70 वर्ष माना जाता है।

अभी तक सबसे दीर्घायु हाथी 82 वर्ष का दर्ज किया गया है।  सबसे विशालकाय हाथी सन् 1955 ई॰ में अंगोला में मारा गया था। इस नर हाथी का वज़न लगभग 10,900 किलो था और कन्धे तक की ऊँचाई 3.96 मी॰ थी जो कि एक सामान्य अफ़्रीकी हाथी से लगभग एक मीटर ज़्यादा है।

उठी हुयी सूंड चेतावनी या धमकी हो सकती है जबकि सिर नीचे करके झुकी हुयी सूंड समर्पण का संकेत देती है। 

आपने दुश्मन को हाथी अपनी सूंड से लपेटकर फेंक भी सकता है।

इतिहास के सबसे छोटे हाथी यूनान के क्रीट द्वीप में पाये जाते थे और गाय के बछड़े अथवा सूअर के आकार के होते थे।

एशियाई सभ्यताओं में हाथी बुद्धिमत्ता का प्रतीक माना जाता है और अपनी स्मरण शक्ति तथा बुद्धिमानी के लिए प्रसिद्ध है।

पिन्नावाला नाम से श्री लंका में हाथियों का अनाथाश्रम है जो इनको विलुप्त होने से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

बड़े नर हाथी 5400 कि॰ के लगभग वज़नी होते हैं तथा कंधे तक 3.4 मी॰ तक ऊँचे होते हैं।

हाथी अपनी सूंड का इस्तेमाल कई कार्यों के लिए करता है।

हाथी नहाने के बाद अपने गीले शरीर पर सूंड से मिट्टी छिड़क लेता है यह सूखने के बर्फ उसकी त्वचा के ऊपर पपड़ी का रूप ले लेती है जो उसे उसकी तेज़ धूप तथा बाहरी कीटाडू से सुरक्षा प्रदान करती है।

हाथी नियमित रूप से मिट्टी का स्नान न करे तो उसकी त्वचा को जलने से, कीटदंश से और नमी निकल जाने से काफ़ी नुक़सान हो सकता है।

सूंड हाथी की नाक और उसके ऊपरी होंठ के बीच का भाग है जो लंबा हो जाने के कारण यह हाथी का सबसे महत्वपूर्ण तथा कार्यकुशल अंग बन गया है।

हाथी की सूंड में मनुष्य से कई गुणा अधिक घ्राण शक्ति होती है, सूड़ से अपने भोजन, मित्र तथा शत्रु का पता लगा सकता है।

हाथी पानी की गंध को लगभग 4 से 5 किलोमीटर दूर से ही सूंघ सकता है

हाथी के जीवनकाल में हाथीदाँत निरन्तर बढ़ते रहते हैं। एक सामान्य वयस्क नर के हाथीदाँत लगभग एक वर्ष में 18 से॰मी॰ तक बढ़ सकते हैं।

हाथी के पैरों कि बनावट मोटे स्तंभों या खंभों के समान होती है। हाथी को अपनी सीधी टाँगों और बड़े गद्देदार पैरों की वजह से खड़े रहने में मांसपेशियों से कम शक्ति की आवश्यकता होती है।

हाथी के वज़न से पैर फूल जाता है, लेकिन वज़न हट जाने से यह पहले जैसा हो जाता है। इसी कारण से गीली मिट्टी में गहरा धँस जाने के बावजूद हाथी अपनी टांगों को आसानी से बाहर खींच लेता है।

हाथी के शरीर का सबसे मुलायम हिस्सा उनके कान के पीछे होता है जिसे क्नुले (knule) कहा जाता है। हाथियों को संभालने वाले महंत क्नुले के जरिए हाथियों को निर्देश देते हैं। इसीलिए उसे कान से ही काबू में किया जाता है। 

अगर किसी झुंड का एक हाथी मर जाए तो सारा झुंड अजीब-अजीब तरह से गरज़ कर शौक मनाता है।

हाथी को हमारे यहाँ के सभी धर्मों में पवित्र प्राणी माना गया है। इस पशु का संबंध विघ्नहर्ता गणपति जी से है। इसलिए उसे गजतुंड, गजानन आदि नाम से पुकारा जाता हैं। 

भारत में अधिकतर प्राचीन मंदिरों के बाहर हाथी की प्रतीमा देखने को मिल जाती है। वास्तु और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भारतीय घरों में भी चांदी, पीतल और लकड़ी का हाथी रखने का शुभ माना जाता है।

बडा शरीर होने के बाबजूद चींटी हाथी की सूंड में घुंस जाए तो वह मरने की कगार पर पहुंच जाता है इसीलिए हाथी फूंक फूंक कर कदम रखता है। भोजन खाने से पहले उसे सूड़ से हिलाता जरूर है।

हाथ़ी अपने पैरों का उपयोग सुनने के लिए भी करते है। जब हाथ़ी चलते हैं तो जमीन में एक विशेष प्रकार का कंपन पैदा होता है, इस कंपन से हाथी दुसरे हाथियों के बारे में जान लेते हैं।

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