ऊँट के कूबड़ के अन्दर क्या होता है। What is camel hump made of ?

ऊँट के कूबड़ के अन्दर क्या होता है



हम देखते हैं कि ऊँट जो आज ज्यादातर सिर्फ गरम जगहों पर ही पाया जाता है। कई लाखों साल पहले टुण्ड्रा जैसी ठंडी जगहों पर भी इनका बसेरा था। वर्ष 2013 में वैज्ञानिकों को द्वीप पर एक जानवर का जीवाश्म मिला था जो बिल्कुल आज के ऊँट जैसा ही था और ये जीवाश्म लाखों साल पुराना था ।

जो लोग शोध में लगे थे  उन्होंने अपनी खोज में पाया है कि ऊँट के पीठ पर ये कूबड़ हिमयुग के समय से मतलब आज से 3 अरब साल पहले ही विकसित हुआ था। इस कूबड़ में एक ऐसी खास चीज होती है जिसके सहारे वो इतने सालों से पृथ्वी पर सरवाइव कर रहे हैं जबकि कई जानवरों की प्रजातियां इस दौरान धरती से लुप्त हो गयी थी । लेकिन ऊँट अपने इस कूबड़ की बदौलत ही लाखों सालों से धरती पर जिंदा है। आखिर ऊँट के पीठ पर मौजूद इस कूबड़ में क्या होता है ?



 कई लोगों को ये गलतफहमी है कि इसमें पानी मौजूद होता है , लेकिन नहीं। इसमें मौजूद होता है फैट यानी मास। लेकिन ये वो मास नहीं होता है जो ऊँट के बाकी शरीर पर भी मौजूद होता है बल्कि ये एक खास तरह का फैट होता है जिसमे फैटी एसिड विटामिन्स और कई सारे मिनरल्स मौजूद होते हैं । 

ऊँट के इस कूबड़ में 36 किलो तक मास जमा हो सकता है और ये मास ऊँट को लम्बी यात्रा के दौरान जिंदा रहने के लिए जरूरी पौष्टिक घटक प्रदान करता है। इस मास के सहारे ऊँट कई हफ़्तों तक यहाँ तक कि एक महीने तक बिना खाये पिये रह सकता है। ऊँट का शरीर जैसे जैसे इस फैट का इस्तेमाल करता जाता है वैसे वैसे इसके कूबड़ का आकार कम होता जाता है। लेकिन ऊँट इस कूबड़ का इस्तेमाल खाने के रिज़र्व के तौर पर ही नही करता बल्कि इसका एक और फायदा भी होता है। आज से लाखों साल पहले ठंडे प्रदेशो में रहने वाली ऊँट की प्रजाति धीरे धीरे पूरी पृथ्वी पर फैल गयी। जब इस जानवर का सामना रेगिस्तान की गर्मी से हुआ तो इनके कूबड़ ने ही इनकी जिंदगी आसान बनाई। गरम वातावरण के कारण ऊँट के शरीर में बदलाव आए और उनके शरीर पर मौजूद बाल कम हो गए। 


ऊँट दुनिया का अकेला एक ऐसा जानवर है जिसके शरीर का सारा फैट एक ही जगह पर जमा होता है, जिससे उनका शरीर ठंडा रहने में आसानी होती है और बाल भी कम होने की वजह से उनके शरीर से गर्मी आसानी से बाहर निकल जाती है। वहीं दूसरी तरफ बाकी जानवर जैसे हम इंसानो के शरीर मे फैट हर जगह जमा होता है जिससे शरीर को ठण्डा रखना मुश्किल होता है।

अब एक आखिरी सवाल अगर इस कूबड़ में पानी जमा नहीं होता है तो ऊँट एक समय में इतना सारा पानी कैसे पी लेते हैं और वो पानी आखिर कहाँ जमा होता है ?
 ऊँट के पूरे शरीर में एक खास तरह की मांशपेशियाँ होती हैं जो काफी इलास्टिक होती है और जरूरत पड़ने पर अपने आकार की 240% तक बड़ी हो सकती है। ऊँट 10 मिनट में 100 लीटर तक पानी पी सकता है। और ये पानी इन्हीं खास मांशपेशियों में जमा होता है इसलिए पानी पीने के तुरंत बाद ऊँट थोड़े मोटे दिखाई देते हैं। ऊँट दुनिया एक ऐसा प्राणी है जो वातावरण के हिसाब से जल्द ही खुद में उचित बदलाव कर लेता है। चीन में ऊँट की एक ऐसी प्रजाति होती है जो समुद्र के खारे पानी पर भी जिंदा रह सकती है। तो हम ऐसा कह सकते हैं कि ऊँट अकेला ऐसा जानवर है जो किसी भी तरह के वातावरण में जिंदा रह सकता है। Camel या ‘ऊँट’ एक अरबी शब्द है , इसका शाब्दिक अर्थ है – ‘सुंदरता’।

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