नया संसद भवन, तस्वीरों को देख नहीं करेंगे यकीन | New Parliament building to be bigger and better

नया संसद भवन, New Parliament House Interesting facts
नया संसद भवन, New Parliament House Interesting facts


हमारे देश की माननीय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए संसद भवन का भूमि पूजन 10 दिसंबर किया। इस समारोह में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी, आवास एवं शहरी मामलों के राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह शामिल हुए। केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री, संसद सदस्य, सहित लगभग 200 लोग लाइव वेबकास्ट के जरिये भूमि पूजन समारोह में मौजूद रहें


Nya sansad bhavan kaisa hoga 


New Parliament building to be bigger and better


कैसा होगा नया संसद भवन ?


देश में लगभग 80 साल बाद नए संसद भवन (Parliament of India) का निर्माण होने जा रहा है। नया संसद 60 हजार मीटर स्क्वायर में बनेगा, जो प्लाट संख्या 118 पर बनाया जाएगा। इस त्रिकोणीय आकार के भवन में 120 दफ्तर होंगे, जिसमें सांसद, सदस्य, उप-राष्ट्रपति और स्पीकर समेत विशिष्ट अतिथियों के निकलने के लिए छह अलग-अलग दरवाजे होंगे। नए भवन में एक साथ 1350 सांसद बैठ सकेंगे। गैलरी में 336 से अधिक लोग बैठ पाएंगे। पुरानी भबन की तुलना में नया संसद भवन 17,000 वर्गमीटर बड़ा होगा।


नए संसद भवन में सेंट्रल हॉल नहीं होगा। वर्तमान में, पुराने संसद भवन में एक केंद्रीय हॉल है जिसकी कुल क्षमता 436 लोगों की है। लोकसभा और राज्यसभा का संयुक्त सत्र अब तक इसी केंद्रीय कक्ष में आयोजित किया जाता रहा है। लेकिन कम क्षमता के कारण, सेंट्रल हॉल में संयुक्त सत्र के दौरान लगभग 200 कुर्सियां ​​स्थापित की जानी हैं। इससे सुरक्षा की चुनौती बढ़ जाती है। ऐसे में नए संसद भवन में यह समस्या दूर हो जाएगी। नए संसद भवन में लोकसभा हॉल का डिजाइन ऐसा किया जा रहा है ताकि वहां एक संयुक्त सत्र आसानी से आयोजित हो सके। नए लोकसभा हॉल में 1,272 लोग बैठेंगे।


नया संसद भवन भी भूकंप का सामना करने में सक्षम होगा। दिल्ली तब जोन 2 में था जब पुराना संसद भवन बनाया गया था, लेकिन अब जोन 4 में है, क्योंकि NCR में भूकंप का खतरा बढ़ गया है। ऐसी स्थिति में, नए संसद भवन को मजबूत किया जाएगा ताकि यह जोन 5 में मजबूत झटके झेल सके।


देश को आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर वर्ष 2022 में एक नए संसद भवन का तोहफा मिलेगा। यह स्वतंत्रता के बाद बनाया गया पहला संसद भवन होगा। प्रत्येक सांसद की सीट के सामने एक मल्टीमीडिया डिस्प्ले होगा। यह अगले सौ साल की जरूरतों के मद्देनजर बनाया जाएगा, ताकि भविष्य में सांसदों की संख्या बढ़ने पर भी कोई दिक्कत न आए।


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नई संसद भवन, ग्रीन निर्माण सामग्री का उपयोग पर्यावरण के अनुकूल भवन के रूप में करेगी। उपकरण लगाए जाएंगे जिससे 30 फीसदी बिजली की बचत होगी। वर्षा जल संचयन और सौर ऊर्जा उत्पादन की भी व्यवस्था होगी। घरों में पहले की तुलना में अधिक आरामदायक सीटें होंगी। टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड 64,500 वर्गमीटर के कुल क्षेत्र पर नए संसद भवन का निर्माण करेगा। इमारत को एचसीपी डिजाइन प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा डिज़ाइन किया गया है।


कई हजार करोड़ों की लागत से तैयार होने वाले इस भवन को वास्तु  शास्त्र को ध्यान में रखकर बहुत सुंदर बनाया जायेगा। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि भारत के नए संसद भवन का मॉडल देखने में हूबहू विदिशा के विजय मंदिर की तरह लगता है। विजय मंदिर और भारत में बनने वाले नए संसद भवन दोनों की आकृति त्रिभुजाकार है।

नया संसद भवन, New Parliament House
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Source social media

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अगर विजय मंदिर और भारत के नए संसद भवन पर ऊपर से नजर डाली जाए, तो एक नजर में आपको दोनो समान दिखाई देंगे। विजय मंदिर का निर्माण मध्य प्रदेश के विदिशा में चालुक्य वंशी राजा कृष्ण के प्रधानमंत्री वाचस्पति ने करवाया था। बाद में मुगल बादशाह औरंगजेब ने इस मंदिर पर हमला करके इसे तोड़ कर नष्ट दिया था। अपनी विशालता और प्रसिद्धि की वजह से विजय मंदिर हमेशा मुगल बादशाहों की नजरों पर बना रहा। आपको जानकर हैरानी होगी की औरंगजेब ने तोप लगवाकर इस मंदिर को उड़ा दिया था। साथ ही आक्रमणकारियों ने इस मंदिर को कई बार लूटा और तोड़ा, लेकिन श्रद्धालुओं ने हर बार इसका पुनर्निर्माण किया। और भारत की प्राचीन और धार्मिक परंपरा को आगे बढ़ा कर जीवंत रखा।


टाटा ग्रुप करेगी संसद की नई इमारत का निर्माण, 


भारतीय संसद की नई इमारत सेंट्रल विस्टा को बनाने के लिए टाटा ग्रुप को टेंडर दिया गया है। संसद की इस नई इमारत के निर्माण के लिए टाटा की तरफ से 861.90 करोड़ रुपये की बोली लगाई गई। जबकि लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) लिमिटेड की तरफ से इसके लिए 865 करोड़ रुपये की बोली लगाई गई थी। 



 मौजूदा संसद भवन 12 फरवरी, निर्माण 1921 में किया गया था।  इसे बनाने में उस समय छह साल और लागत 83 लाख रुपये में बनाया गया था। इसका उद्घाटन समारोह 18 जनवरी, 1927 को भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन द्वारा किया गया था



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