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| gagron fort jhalawar history और उसका इतिहास |
Picture source - Wikipedia
इस किले का नाम है गागरोन किला। राजस्थान के झालावाड़ जिले में यह किला चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है। यही नहीं यह भारत का एकमात्र ऐसा किला है जिसकी नींव नहीं है। राजस्थान दुर्गों का राज्य है। इतिहास में उल्लेख मिलता है कि रियासतों ने संकट काल में अपनी प्रजा को शत्रुओं से बचाने के लिए दुर्गों का निर्माण किया। रियासत पर जब संकट आता था तो पूरा नगर इन दुर्गों में शरण लेता था। यहां अनाज के भंडार और पर्याप्त जलाशय होते थे। एक साथ हजारों लोगों के कई महीनों तक ठहरने की व्यवस्था होती थी।
गागरोन के किले का इतिहास – Gagaron Fort History In Hindi
गागरोन का दुर्ग भारतीय राज्य राजस्थान के झालावाड़ जिले में स्थित एक दुर्ग है। यह काली सिंध नदी और आहु नदी के संगम पर स्थित है। 21जूूून, 2013 को राजस्थान के 5 दुर्गों को युनेस्को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया जिसमें से एक गागरों दुर्ग भी है। यह झालावाड़ से उत्तर में 13 किमी की दूरी पर स्थित है। किले के प्रवेश द्वार के निकट ही सूफी संत ख्वाजा हमीनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है। यह दुर्ग दो तरफ से नदी से, एक तरफ से खाई से और एक तरफ से पहाड़ी से घिरा हुआ है।
गागरोन का किला अपने गौरवमयी इतिहास के कारण भी जाना जाता है। सैकड़ों साल पहले जब यहां के शासक अचलदास खींची मालवा के शासक होशंग शाह से हार गए थे तो यहां की राजपूत महिलाओं ने खुद को दुश्मनों से बचाने के लिए जौहर (जिंदा जला दिया) कर दिया था। सैकड़ों की तादाद में महिलाओं ने मौत को गले लगा लिया था।
गागरोन किले का निर्माण डोड राजा बीजलदेव ने बारहवीं सदी में करवाया था और 300 साल तक यहां के राजा खीची रहे। यहां 14 युद्ध और 2 जोहर (जिसमें महिलाओं ने अपने को मौत के गले लगा लिया) हुए हैं। यह उत्तरी भारत का एकमात्र ऐसा किला है जो चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है इस कारण इसे जलदुर्ग के नाम से भी पुकारा जाता है। यह एकमात्र ऐसा किला है जिसके तीन परकोटे हैं। सामान्यतया सभी किलो के दो ही परकोटे हैं। इसके अलावा यह भारत का एकमात्र ऐसा किला है जिसे बगैर नींव के तैयार किया गया है। इस किले में दो प्रवेश द्वार हैं, एक पहाड़ी की तरफ तो दूसरा नदी की तरफ खुलता है। किले के जो सामने बनी गिद्ध खाई है उससे किले पर सुरक्षा के लिये नजर राखी जाती थी।
आप कैसे पहुंच सकते है गागरोन दुर्ग
यह झालावाड दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में मावला के पठार में स्थित मध्यप्रदेश के बॉर्डर से लगा जिला है। यह कोटा शहर से 88 किमी की दूरी पर है। गागरोन दुर्ग पहुंचने के लिए कोटा से झालावाड़ के लिए अच्छा सड़क मार्ग है और पर्याप्त मात्रा में बसें उपलब्ध हैं। कोटा डेयरी पार करने के बाद यहां से रोड पर ’टी’ प्वाइंट है। बायें हाथ का रास्ता झालावाड़ की ओर जाता है। झालावाड़ से गागरोन दुर्ग की दूरी 10 किमी के करीब है। झालावाड़ से गागरोन दुर्ग के लिए ऑटो या टैक्सी का प्रबंध किया जा सकता है।
विश्व धरोहर में शामिल है ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक जल दुर्ग गागरोन
गागरोन दुर्ग अपने प्राकृतिक वातावरण के साथ-साथ रणनीतिक कौशल के आधार पर निर्मित होने के कारण भी विशेष स्थान रखता है। यहां बड़े पैमान पर हुए ऐतिहासिक निर्माण और गौरवशाली इतिहास पर्यटकों का विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करते हैं।
गागरोन के किले की एंट्री फीस - Gagaron Fort Entry Fees In Hindi
गागरोन के किले में पर्यटकों के घूमने के लिए 50 रूपये प्रति व्यक्ति एंट्री फ़ीस है।
नोट यह जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध विभिन्न स्रोतों के माध्यम से बताई गई है। हो सकता है वर्तमान समय में स्थानीय प्रशासन ने इस मे कोई बदलाव कर दिया हो।
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