दान और दान से जुडी हुई हमने अनेको कहानिया सुनी हुई है चाहे फिर वो दान वीर कारण की हो या भामाशाह की हो लेकिन उन दानवीर की बात करने जा रहे है । जिन्होंने हज़ारो लोगों के जीवन को परिवर्तित किया है। हम बात कर रहे है हरी सिंह गौर यूनिवर्सिटी के संस्थापक डॉ. हरी सिंह गौर जी की।
26 नवंबर 1870 को शनिचरीटोरी गॉव सागर के पास हरी सिंह गौर जी का जन्म हुआ। इनके पिताजी किसान थे एवं कारपेंटर का कार्य भी करते थे। लेकिन परिवार की स्तिथि ज्यादा अच्छी नहीं थी लेकिन इनके बड़ी भाई ने मदद के। चूंकि शुरू से ही ये अच्छी शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे तो उन्होंने मुश्किल से २ रूपए प्रतिमाह की छात्रवृत्ति प्राप्त कर सागर के नाईट कॉलेज में एडमिशन लिया और प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की। कुछ समय बाद इन्होने और छात्रवृत्ति प्राप्त की और जबलपुर से अपनी आगे की शिक्षा की।
इंटरमीडिएट इन्होने नागपुर से प्राप्त किया
matriculation के पहले प्रयास में ये असफल रहे और उसका कारन था कि इन्होने अपनी छात्रवृत्ति से थोड़ा थोड़ा पैसा बचाकर एक सोने की अंगूठी ली थी जो की चोरी हो गयी थी जिसका इनके मांसिक और हृदय पर प्रभाव पड़ा उसके परिणामसरूप प्रथम प्रयास में असफल रहे। पर दुसरे प्रयास में अच्छे स्थान के साथ सफल रहे।
इन्होने उच्च शिक्षा विभिन्न छात्रवृत्तियो को प्राप्त करते हुए कैंब्रिज कॉलेज , डाउनिंग कॉलेज एवं ट्रिनिटी कॉलेज से की। इन्होने LL.M , D.Litt और LL.D इत्यादि उच्च शिक्षा एवं उपाधिओं को प्राप्त किया।
इन्होने रायपुर में वकालत से शुरुआत की और धीरे धीरे आप उस समय के तत्काल कानूनी विधो में काफी ख्याति प्राप्त करने लगे इसका परिणाम हुआ की महात्मा गाँधी जैसे ख्याति प्राप्त लोग आपके ज्ञान के प्रशंसक गए। कानून निर्माण की देश निर्माण की क्रियाओ में बड़े बड़े पद पर रहने का अवसर प्राप्त हुआ और देश के विकास एवं सोशल रिफॉर्म्स सब में आपका बड़ा गहरा महत्व के साथ योगदान रहा।
इन्होने अपने जीवन में वकालत और अपने आदर्शो के आधार पर बहुत धन कमाया लेकिन अब हम बताते है इनके धन कमाने का उद्देश्य।
मध्यप्रदेश जो 1956 में देश का राज्य बनता है लेकिन 1946 में मध्य प्रदेश के सागर शहर में एक विश्व विद्यालय की स्थापना होती है। सोचिये सागर जो बहुत पिछड़ा हुआ था उस स्थान पर विश्व विद्यालय की रचना स्थापना है। और विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए आर्थिक स्थितियाँ कैसे निर्मित हो बड़ा विचारणीय प्रश्न था और इस विचारणीय प्रश्न को हल किया डॉ. हरी सिंह गौर ने।
अपनी जीवन भर की कमाई करीब २ करोड़ की संपत्ति डॉ. हरी सिंह गौर जी ने विश्वविद्यालय के लिए दान दे दी। डॉ. हरी सिंह गौर जी प्रेरणा से मध्य प्रदेश को अपना पहला विश्व विद्यालय मिला।
सागर यूनिवर्सिटी की स्थापना सागर के कैंट एरिया के छोटे से स्थान पर की गयी।
यह बात आज छोटी लगे लेकिन शायद बड़ी मेहनत से कठनाइयों का सामना करते हुए हरी सिंह गौर ने अपनी शिक्षा प्राप्त की तो उन्हें लगा होगा की हमारे क्षेत्र के लोगों को शिक्षा प्राप्त करने में कठनाईया आती हैं , शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते हैं।
डॉ हरी सिंह गौर कर दर्शन था - शिक्षा का दान महा दान।
ऐसे महा दानवीर डॉ हरी सिंह गौर के चरणों में बारम्बार नमन।
Note : समस्त जानकारी इंटरनेट के माध्यम से प्राप्त की गई है इसका 100% सही होना जरुरी नहीं हैं । हमारा उद्देश्य किसी की भावना को ठेस पहुंचाना नहीं हैं ।

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