मध्यप्रदेश की ऋतुएँ । Seasons of Madhya Pradesh


Seasons of Madhya Pradesh
मध्यप्रदेश की ऋतुएँ



1. ग्रीष्म ऋतु ( summer season )

ग्रीष्मकाल फरवरी के मध्य में शुरू होता है और जुलाई में समाप्त होता है । जहां मानसून का पहला प्रकोप होता है। गर्मियों के मौसम के दौरान, तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक तक पहुंच जाता है। मध्य प्रदेश के दक्षिणी भाग (कर्क रेखा के दक्षिण में) से सौर ऊर्जा प्राप्त होती है जिसमें खंडवा, खरगोन, उज्जैन, आदि सबसे गर्म स्थान हैं। उत्तरी ग्वालियर को बड़ी मात्रा में सौर ऊर्जा प्राप्त होती है और यह राज्य के उत्तरी भाग का सबसे गर्म स्थान है। मुरैना जिला, ग्वालियर, और दतिया में लगभग 42.5 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया जाता है, जबकि मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग में 40 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया जाता है, जिसमें शाजापुर जिला, देवास जिला, रतलाम जिला, मंदसौर जिला, मंदसौर जिला, सिवनी, आदि शामिल हैं। राज्य जैसे पचमढ़ी और अमरकंटक में लगभग 34 डिग्री सेल्सियस तापमान का अनुभव होता है। जब सूर्य उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ता है, तो मध्य प्रदेश जुलाई के महीने तक प्रचंड गर्मी का अनुभव करता है। मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में तापमान 49 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है जबकि औसत तापमान 40 डिग्री सेल्सियस रहता है।





2. वर्षा ऋतु ( Rainy Season )

मध्य प्रदेश में जून के मध्य तक वर्षा ऋतु प्रारंभ हो जाती है जून से वायु में आर्द्रता बढ़ने लगती है क्योंकि सागर के ऊपर से आने वाली हवाएं उत्तर पश्चिमी भारत व पाकिस्तान के न्यून वायुदाब केंद्र की ओर आकर्षित होने लगती हैं । संपूर्ण पश्चिमी मध्य प्रदेश में हवाओं की दिशा पश्चिम व दक्षिण से होती है यह हवाएं नर्मदा व ताप्ती की घाटियों तथा दक्षिण में पेंच नदी की घाटी से प्रवेश करती है जिनसे निकटवर्ती पर्वतीय वह मुझे पठारी प्रदेशों में अधिक वर्षा होती है । वर्षा आर्द्रता तथा धूप की कमी के कारण तापमान गिरने लगता है तथा जून 1 जुलाई के तापमान में पर्याप्त अंतर आ जाता है उत्तर के भागों में तापमान 26.6 डिग्री सेल्सियस से 29.4 डिग्री सेल्सियस के मध्य रहता है जबकि दक्षिण में 23.9 डिग्री सेल्सियस से 26.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है । यह अंतर जुलाई में दक्षिणी भागों में अधिक वर्षा के कारण पाया जाता है जुलाई के पश्चात औसत मासिक तापमान लगभग स्थिर रहता है मध्य प्रदेश में वर्षा ऋतु के 4 माह में औसतन 60 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा होती है यह घटकर पश्चिमी एवं उत्तरी पश्चिमी भाग में (ग्वालियर,मुरैना, श्योपुर शिवपुरी) में 45 से 50 सेंटीमीटर तक रह जाती है धार.बड़वानी .झाबुआ खरगोन एवं पश्चिमी मंदसौर में भी 50 से 60 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है ।सितंबर के अंतिम दिनों में मानसून का वेट कम होने लगता है तथा स्वच्छ आकाश का समय बढ़ने लगता है साथ ही वर्षा की मात्रा में घटती जाती है अक्टूबर में औसत वर्षा कम होती है तथा तापमान में वृद्धि होती है ।

3. शीत ऋतु ( winter season )

सितंबर में सूर्य के दक्षिणायन होने के साथ ही औसत तापमान में गिरावट आने लगती है वर्षा तथा आद्रता की अधिकता के कारण भी ऐसा होता है अक्टूबर में संपूर्ण मध्य प्रदेश का तापमान 20.9 डिग्री सेल्सियस से 26.6 डिग्री सेल्सियस के मध्य रहता है जनवरी में 21.1 डिग्री सेल्सियस की रेखा मध्यप्रदेश को उत्तरी व दक्षिणी दो भागों में विभक्त कर देती है । संपूर्ण उत्तरी मध्य प्रदेश में तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से 18 डिग्री सेल्सियस के मध्य रहता है दक्षिणी भाग में तापमान बढ़ता जाता है बालाघाट सिवनी छिंदवाड़ा बैतूल खंडवा व खरगोन में तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से 20 डिग्री सेल्सियस के मध्य रहता है । शुष्क मौसम स्वच्छता शिवम मंद हवा में शीत ऋतु की मुख्य विशेषताएं हैं रात्रि का तापमान गिरने से मुझे पठारी का पहाड़ी भागों में स्थानीय रूप से पाला व कोहरा पड़ता है दिसंबर में जनवरी में उत्तर पश्चिम में मध्यप्रदेश में हल्की वर्षा चक्रवातों से हो जाती है यह चक्रवात अधिकतर पश्चिम की ओर से आते हैं । यह चक्रवात अपने साथ उत्तर के उत्तर एक सीट वायु को आकर्षित कर लेते हैं जिससे शीत लहर भी आ जाती है इन चक्रवातों के कारण कभी-कभी ओले भी गिरते हैं तथा वायु की गति भी अधिक हो जाती है चक्रवातों के कारण मौसम अचानक परिवर्तित हो जाता है । 

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