मध्यप्रदेश की मिट्टियां । Soil of Madhya Pradesh

Soil of madhya pradesh


मध्य प्रदेश – मृदा का वर्गीकरण (Classification of Soil)


मिट्टी की परिभाषा : मिट्टी धरातल के ऊपरी परत कहलाती है , जो कि पेड़ पौधों को अपने को बढ़ने के लिए जीवाश्म तथा खनिजांश प्रदान करती है । मिट्टी चट्टान तथा जीवाश्मों के मिश्रण से बनती है ।

भारत एक कृषि प्रधान देश हैं । और मध्यप्रदेश में 70% जनसंख्या कृषि व इससे जुड़े कार्यो पर निर्भर है और कृषि के विकास में उसकी मिट्टी का अहम रोल होता है ।

मृदा का वर्गीकरण (Classification of Soil)

मध्य प्रदेश में मृदा को मुख्यत: 5 वर्गों में वर्गीकृत किया गया है –



Major types of soil found in Madhya Pradesh

मध्यप्रदेश में पाँच प्रकार की मिट्टियां पाई जाती हैं ।

1. काली मिट्टी

2. लाल और पीली मिट्टी

3. जलोढ़ मिट्टी

4. कछारी मिट्टी

5. मिश्रित मिट्टी



   ■ काली मिट्टी  [ Black soil (Regur Soils/Black cotton soil) ]

◆ काली मिट्टी का  निर्माण मुख्यत: दक्कन के लावा के अपक्षय द्वारा हुआ है ।

◆ इस मिट्टी का  रंग काला गहरा होता है  ।

◆ सफेद चीकायुक्त यह मिट्टी बहुत बारीक कण वाली , चूना , मैग्नीशियम एवं कार्बोनेट के अंश वाली होती है ।

◆  इस मिट्टी में लोहे , चूने एवं एल्यूमिनियम की अधिकता एवं फॉस्फेट , नाइट्रोजन एवं जैव पदार्थों की कमी होती है ।

◆ पानी पड़ने पर यह मिट्टी चिपकती है एवं सूखने पर बड़ी-बड़ी दरारें पड़ जाती है ,  जिससे इसमे वायु संचरण तथा जल निकास की समस्या नहीं होती हैं ।

◆ ये मृदा गहरी और अपारगम्य होती है|

◆ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काली मिट्टी को चेरनोजम कहा गया है। चेरनोजम मिट्टी मुख्य रूप से काला सागर के उत्तर में यूक्रेन में तथा ग्रेट लेक्स के पश्चिम में संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में पाई जाती है।

◆ अन्य नाम- रेंगुर,काली कपास मिट्टी, ट्रोपिकल ब्लेक अर्थ तथा ट्रोपिकल चेरनोजम

◆ फसले- अरहर,गेंहू,ज्वार, अलसी, सरसों, तंबाकू, मूँगफली, कपास



लाल पीली मिट्टी  [ Red-yellow soil ]

★ इस मिट्टी का रंग लाल, पीली एवं चाकलेटी होता है। यह मिट्टी शुष्क और तर जलवायु में प्राचीन रवेदार और परिवर्तित चट्टानों की टूट-फूट से बनती है।
★  मिट्टी में लोहा, ऐल्युमिनियम और चूना की मात्रा अधिक होती है। यह मिट्टी प्रदेश के पूर्वी भाग में अर्थात बघेलखंड में पाई जाती है ।
★  इस प्रकार की  मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी है | इस मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 8.5 होता है ।

★ इस मिट्टी में फेरिक ऑक्साइड ( Ferric Oxide ) पाया जाता है, जिसके कारण इसका रंग लाल होता है  । जब फेरिक ऑक्साइड  ( ferric oxide ) हाइड्रोलिसिस ( hydrolysis ) से गुजरता है, तो इसका रंग पीला हो जाता है। इसमें बड़ी मात्रा में चूना होता है ।


■   कछारी मिट्टी ( Alluvial soil )

★ यह सबसे उपजाऊ मिट्टी है।

★  इसका निर्माण नदियों द्वारा लाए गए क्षरण और जमा कणों के कारण हुआ है।

★  यह मिट्टी  भिंड, मुरैना, श्योपुर, ग्वालियर और शिवपुरी जिले में पाई जाती हैं।


★ यह गन्ने के लिए सबसे उपयुक्त है।

★ यह दो प्रकार की होती है : खादर और बांगर।

 ★ मिट्टी राज्य में 3 मिलियन एकड़ भूमि में फैली हुई है, जो राज्य की कुल मिट्टी का लगभग 3 प्रतिशत है।



जलोढ़ मिट्टी (Alluvium soil)


मध्य प्रदेश के उत्तरी पश्चिमी भाग में मुख्यता मुरैना भिंड ग्वालियर तथा शिवपुरी जिले में यह मिट्टी पाई जाती है बुंदेलखंड न्यूज तथा चंबल द्वारा निक्षेपित पदार्थों से निर्मित यह मिट्टी गंगा घाटी के इस सीमांत प्रदेश में लगभग 30 लाख एकड़ भू भाग पर फैली हुई है !

इस मिट्टी में नाइट्रोजन जैव तत्व एवं फास्फोरस की कमी होने के कारण वनस्पति भी कम पाई जाती है इस मिट्टी की सतह बलुई दोमट व चिकनी दोमट तरह निकली कहो में अपेक्षाकृत महीन कणों का पदार्थ पाया जाता है भिंड तथा मुरैना जिले में मिट्टी का रंग पीला पन लिए हुए भूरा है जिसमें बीच-बीच में राख का रंग भी मिलता है !

मुरैना के अन्य भागों में गहरे रंग की मिट्टी पाई जाती है जलोढ़ मिट्टी में बालू सिलका तथा मृतिका का अनुपात पाया जाता है बालू के अधिकता के कारण इसमें अपरदन अपेक्षाकृत कम होता है !




मिश्रित मिट्टी  ( Mixed soil )

 विंध्य प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के अनेक क्षेत्रों में लाल पीली एवं काली मिट्टी मिश्रित रूप में पाई जाती है यह मिट्टी फास्फेट नाइट्रोजन एवं कार्बनिक पदार्थों की कमी वाली कम उपजाऊ होती है इसलिए इस प्रकार की मिट्टी में मुख्यता मोटे अनाज ज्वार मक्का आदि उत्पादित किए जाते हैं ।

यह मिट्टी लाल पीली और काली मिट्टी का मिश्रण है यह मिट्टी मुख्य मुख्य रूप से बुंदेलखंड क्षेत्र में पाई जाती है इस मिट्टी में मुख्यता मोटे अनाज उगाए जाते हैं, मिश्रित मिट्टी में नाइट्रोजन फॉस्फोरस और कार्बनिक पदार्थ की कमी है | यह मिट्टी प्रदेश के निम्नतम बाहय क्षेत्र में पाई जाती है |













Post a Comment

0 Comments