पिछली पोस्ट में हमने निम्न जनजातियों के बारे में जान लिया था आज हम बाकी बची हुई जनजाति के बारे में जानेंगे ।
1. गोंड जनजाति
2.कोल जनजाति
3. भारिया जनजाति
4. सहरिया जनजाति
5. बैगा जनजाति
6. भील जनजाति
7. कोरकू जनजाति
पनिका ( पनका ) जनजाति
◆ सीधी और शहडोल जिले में यह जनजाति पाई जाती हैं।
◆ यह लोग कबीरहा भी कहलाते हैं ।
◆ यह जनजाति मदिरा और माँस का सेवन नही करती ।
◆ ये कुशल आखेटक होते हैं।
◆ छोटा नागपुर में यह जनजाति 'पाने जनजाति' के नाम से जानी जाती है ।
◆ दूल्हादेव , मट्टीमाता और हुल्कीमाई इनके प्रमुख देवी देवता हैं ।
पारधी जनजाति
◆ पारधी मराठी भाषा के शब्द " पारध " का एक तत्सम रूप है जिसका अर्थ होता है आखेट ।
◆ भोपाल अशोकनगर रायसेन विदिशा सीहोर न्याय जनजाति मुख्यतः पाई जाती है
◆ यह बनने पशुओं का शिकार करने में और पकड़ने में माहिर है
◆ " चीता पारधी " चीता पकड़ने में बहुत ही माहिर होते हैं , शैशव अवस्था में चीता पकड़कर उसे प्रशिक्षण देते हैं ।
◆ पारधी समाज में महिला को शिकार करने की अनुमति नहीं है ।
◆ यह जनजाति देवी जी की पूजा करता है ।
अंगरिया जनजाति
◆ यह जनजाति गोंडो की ही उपजाति हैं ।
◆ मंडला एवं शहडोल जिले में यह जनजाति पाई जाती है ।
◆ प्रमुख्य कार्य - लौहे के औजार बनाना ।
◆ इनके प्रमुख देवता " लौहा सूर " है , जिनका निवास स्थान " धधकती भट्टी " माना जाता है ।
◆ देवता को प्रसन्न करने के लिए काली मुर्गी की भेंट चढ़ाते हैं ।

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