Mohankheda tirtha, jain temple । मोहनखेड़ा तीर्थ , जैन मंदिर
हिंदुस्तान के ह्रदय कहे जाने वाले मध्यप्रदेश के धार जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर राजगढ़ के समीप मोहनखेड़ा तीर्थ है। यहाँ पर अनेको चमत्कार हुए है। आइये जानते है अब इस तीर्थ क्षेत्र के बारे में विस्तार से।
हर वर्ष लगता है मेला मोहनखेड़ा तीर्थ पर
प्रतिवर्ष यहाँ पर गुरु सप्तमी पर मेला लगता है। तिथि के हिसाब से माह पौष सुदी सप्तमी को यहाँ पर विशाल मेले का आयोजन होता है। साथ ही साथ देश विदेश हज़ारों लोग आते रहते है। इस तीर्थ के प्रेरक श्री गच्छाधिपति आचार्य श्री ऋषवचंद्र सुरिस्वरजी म.सा. की प्रेरणा से श्री राजेन्द्र जैन श्वेताम्बर पेढ़ी ट्रस्ट चल रहा रहा जो समय समय जनकल्याण के कार्य कर रहा है। जैन समाज का पालीताना भी सबसे मुख्य तीर्थ क्षेत्र है। यह पालीताना शहर कानूनी तौर पर शाकाहारी शहर है। यहाँ पर लाखों गुरुभक्तों का तांता लगा रहता है।![]() |
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श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी ने त्यागी थी अपनी देह
मोहनखेड़ा में भगवान श्री आदिनाथ जी के मंदिर का निर्माण श्री राजेन्द्र सुरिस्वरजी ने करवाया था। गुरुदेवेश श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी ने 21 दिसंबर 1906 (पौष सुदी सप्तमी ) के दिन अंतिम सांस ली। इसके बाद समाज के लोगो ने समाधि मंदिर की स्थापना की। मोहनखेड़ा तीर्थ पर दादा गुरुदेव राजेन्द्र सूरीश्वर जी ,यतिंद्र सूरीश्वर जी ,विद्याचंद्र सूरीश्वर जी,हेमेंद्र सूरीश्वर जी के समाधि मंदिर का निर्माण हो चुका है।
मोहनखेड़ा तीर्थक्षेत्र की ऑफिशियल वेबसाइट


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