गरीबो का मसीहा "दादी की रसोई"

जी है वैसे गरीबो का मसीहा नही कहना चाहिए पर हम यह कह सकते है कि जरुरतमंदो का मसीहा। मैं सबसे पहले एक चीज़ जानना चाहुगा कि अगर आपको कही पर भरपेट भोजन करेगे तो कम से कम आपको 50 रु. खर्च तो करने पड़ेगे।लेकिन एक बात को जानकर आपको हैरानी होगी कि आप भारत के एक शहर में आप 5 रु. में भरपेट खाना खा सकते हो। अब में आपको इसके बारे में पूरी डिटेल देता हूं।


कब और कहा हुई दादी की रसोई की शूरुआत
नोएडा के सेक्टर 29 के गंगा काम्प्लेक्स में 21 अगस्त 2015 से हुई शूरुआत।

क्यो हुई दादी की रसोई की शूरुआत
नोयडा के सेक्टर 29 के रहने वाले अनूप गुप्ता की दादी सिर्फ खिचड़ी खाती थी और वो कहती थी मैं सिर्फ खिचड़ी खाती हु इससे पैसे बच रहे है और जो पैसे बच रहे है उनसे गरीबो को खाना खिलाओ । तभी अनूप खन्ना को आईडिया आया क्यो न एक संस्था खोली जाए जहा पर गरीबो को खाना खिलाया जाए वो भी भी 5 रु. में।


लगता है देसी घी का तड़का
अनूप खन्ना ने हमारी जानो इसको की टीम को बताया कि शूरुआत में 10 से 20 लोगो ने मदद की लेकिन 1 हफ्ते बाद सब लोग हट गए इस काम से । लेंकिन अनूप खन्ना ने हार नही मानी उन्होंने इस काम को अकेली चालू रखा। धीरे धीरे इस काम में बहुत से लोग जुड़ गए। सब्ज़ी वाले सब्ज़ी उनको कम से कम दाम में सब्जी देने लगे साथ ही साथ देशी घी 200 से 250 रु. किलो देने लगे बल्कि देशी घी 600 रू. किलो है।

एक सवाल और आपके मन में आता होगा कि आखिर 5 रू. क्यो रखा दाम
इस सवाल का जवाब अनूप खन्ना ने हमारी जानो इसको की टीम को देते हुए कहा अगर किसी को निःशुक्ल खाना दो तो उसका स्वाभिमान खत्म हो जाता है ,इसलिए 5 रु. में लोग भर पेट खाना खाते है।
खाने में दाल ,सब्ज़ी,चाबल और आचार पापड़ मिलता हैं।

अमीर लोग भी आते है खाने के लिए
रिक्शा वाले ,स्कूल कॉलेज के बच्चे ,आफिस में काम करने वाले लोग यह तक उस कंपनी का मालिक तक उस लाइन में लगा होगा।

जब तक चलता रहेगा 5 का सिक्का तब तक देगे खाना 5रु. में
अनूप खन्ना ने बताया कि सरकार जब तक 5 का सिक्का बंद नही करती तब तक वो 5 रु. में भरपेट खाना देगे।
हमारी टीम ऐसे लोगो को सलाम करती है।
दोस्तो आशा है कि ये पोस्ट आपको अच्छा जरूर लगा होगा। आप अपने दोस्तों के साथ शेयर करे। "


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